भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) इंदौर द्वारा रूरल इंगेजमेंट कार्यक्रम (आरईपी) 2021 का ओरिएंटेशन प्रोग्राम सोमवार को हाइब्रिड माध्यम से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन आइआइएम द्वारा 2009 में रूरल इमर्शन कार्यक्रम नाम से शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य उभरते युवा प्रबंधकों और उद्यमियों को सरकार द्वारा गांवों में चलाई जा रही विभिन्ना योजनाओं का अध्ययन और उनके क्रियान्वयन का विश्लेषण करना और इसके प्रति संवेदनशील बनाना है।
ओरिएंटेशन कार्यक्रम में आइआइएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय, कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. भवानी शंकर शामिल हुए। कार्यक्रम के तहत इस वर्ष प्रतिभागी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कोविड दिशानिर्देशों के आधार पर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के बाद स्वास्थ्य और स्वच्छता पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करेंगे।
प्रो. राय ने कहा कार्यक्रम के तहत प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा प्रतिभागी गांवों से बाहर रहते थे और ग्रामीणों के सामने आने वाली समस्याओं का विश्लेषण करते थे। उन्होंने कहा कि देश के युवा कुशल और सक्षम हैं इसीलिए आइआइएम इंदौर के राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए हर कदम उठाने के दृष्टिकोण के अनुरूप हमने आरईपी कार्यक्रम को संशोधित करने का निर्णय लिया था। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को समझने के लिए प्रतिभागी अब स्वयं भी गांवों में रहते हैं। वे मुद्दों को हल करने के समाधान के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। वर्तमान कोरोनाकाल में इस वर्ष प्रतिभागी ग्रामीणों के साथ टेलीफोनिक साक्षात्कार के माध्यम से अध्ययन करेंगे।
विद्यार्थी 30 हजार ग्रामीणों से बात कर रिपोर्ट बनाएंगे
कार्यक्रम के तहत पीजीपी और पीजीपीएचआरएम के प्रथम वर्ष और आइपीएम के चौथे वर्ष के कुल 648 प्रतिभागी प्रदेश के 52 जिलों के 30 हजार से अधिक ग्रामीणों के साथ टेलीफोन पर संवाद करेंगे। छह विद्यार्थियों की दो टीमें एक जिले का अध्ययन करेंगी और प्रत्येक जिले के 600-700 नागरिकों के डेटाबेस पर काम करेंगी। इसमें नागरिकों द्वारा कोविड दिशा-निर्देशों का पालन करना, बाधाओं का सामना करना और उसके पीछे के कारणों को समझना और बाधाओं को दूर करने के लिए सिफारिशों को पेश करना शामिल है। प्रतिभागी तीन नवंबर को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
ग्रामीण परिदृश्य में बदलाव लाना कठिन कार्य है
प्रो. राय ने कहा कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 833 मिलियन से अधिक लोगों के पास स्वच्छ पेयजल, बिजली, शिक्षा या इंटरनेट जैसी प्राथमिक सुविधाओं तक पहुंच नहीं है। अब समय आ गया है कि हम यह समझें कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की समस्याएं अलग हैं। ऐसी बहुत सी चीजें जो हमें आसानी से उपलब्ध हैं वे ग्रामीणों के लिए एक बड़ा विशेषाधिकार है। हमें अन्य लोगों के लिए उनकी प्राथमिकताएं तय करना बंद कर देना चाहिए और इसके बजाए उनके मुद्दों और परेशानियों को समझना चाहिए।
आरईपी एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है क्योंकि यह न केवल प्रतिभागियों को जमीनी हकीकत को समझने में मदद करता है बल्कि उनकी सामाजिक चेतना, संवेदनशीलता और प्रबंधकीय और निर्णय लेने के कौशल को भी बढ़ाता है। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि आरईपी की एक सप्ताह की यह यात्रा उन्हें यादें बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में समस्याओं को समझने में मदद करेगी लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें जो संवेदनशीलता मिलेगी वह जीवन भर उनके साथ रहेगी।
प्रो. भवानी शंकर ने कहा कि आइआइएम इंदौर ने ग्रामीण लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए नए कदम उठाए हैं। ग्रामीण परिदृश्य में बदलाव लाना एक कठिन कार्य है। उन्होंने कहा कि वे महामारी के प्रभाव का पता लगाने और उससे उत्पन्ना हुई समस्याओं से कैसे निपटें। इस पर काम करेंगे।