केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत अभियान योजना के तहत इंदौर जिले में ड्यूरम (कठिया) गेहूं और आलू आधारित प्रसंस्करण इकाइयों और उद्यमों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें सहकारी संस्थाओं, स्वयं सहायता समूहों, कृषि उत्पाद संगठनों आदि को तकनीकी और आर्थिक सहायता दी जाएगी। फिलहाल इस अभियान के लिए जिले की 23 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को चिन्हित किया गया है। इन संस्थाओं के माध्यम से जिले के कृषि उत्पादों को मूल्य संवर्धित और प्रसंस्करण करके मार्केटिंग का इंतजाम भी किया जाएगा।इसी सिलसिले में गुरुवार को जिला प्रशासन ने इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक व नाबार्ड के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें विशेषज्ञों के अलावा जिले के कई किसानों को आमंत्रित किया गया। कार्यशाला में कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि यदि हमारे किसान ड्यूरम गेहूं की गुणवत्ता को पहचानकर इसका वैल्यू एडिशन करें तो इससे अधिक लाभ कमा सकते हैं। इसी तरह मालवा का आलू चिप्स कंपनियों के लिए बहुत उपयोगी होता है, लेकिन किसानों को उद्योग की जरूरत के हिसाब से इसके उत्पादन और प्रबंधन की तकनीकों को अपनाना होगा। कार्यशाला में फ्रेश-ओ-वेज के रुद्रप्रतापसिंह चौहान ने कहा कि ड्यूरम गेहूं में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इसका उपयोग पास्ता, पिज्जा में खूब हो रहा है।
हर तहसील में बनाएंगे एक सहकारी कोल्ड स्टोरेजलसुड़िया मोरी के किसान दिलीपसिंह तंवर ने कहा कि कोल्ड स्टोरेज संचालकों द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा है। वे अक्टूबर में ही कोल्ड स्टोरेज बंद कर देते हैं। इस कारण किसानों को मजबूरी में स्टोरेज से आलू और अन्य उपज निकालकर सस्ते में बेचनी पड़ती है। उनके सुझाव पर कलेक्टर ने कहा कि जिले की हर तहसील में एक सहकारी कोल्ड स्टोरेज बनाया जाएगा। इसके लिए सहकारिता विभाग और आइपीसी बैंक को योजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं।