जून के शुरुवाती दिनों में ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे ने पूरे देश का दिल दहला दिया है। जहां करीब 15 दिन पूर्व तीन ट्रेनों के आपस में टकराने से 800 से अधिक यात्रियों की मौत हो चुकी है, तो वहीं 1000 से अधिक यात्री घायल हैं ।इस भीषण ट्रेन हादसे के बाद रेलवे मंडल ,सीबीआई, केंद्र और राज्य सहित अन्य एजेंसियां मामले की जांच कर हादसे का पता लगाने में जुटी हुई है। तो वहीं दूसरी ओर रेलवे मंत्रालय ने देश भर के सभी रेलवे स्टेशनों को अलर्ट जारी कर ऐसी घटनाओं को टालने के लिए सजग रहने के निर्देश दिए हैं। इस रेल हादसे में जिन लोगों की जान चले गई, उनकी मौत की कीमत कोई नही चुका सकता, लेकिन यात्रियों द्वारा बनवाया गया रेलवे टिकट उनके परिजनों को बड़ा मुआवज दिला सकती है। लेकिन हैरत की बात यह है की यदि कोई यात्री ऑनलाइन टिकट बुक करता है तो उसे महज 35 पैसे में 10,लाख रु तक के बीमे का ऑप्शन मिल जाता है। लेकिन यही ऑप्शन ऑफलाइन टिकट खरीदने में नहीं है।
35 पैसे बीमे की यात्रियों को नहीं दी जाती जानकारी
बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद ट्रेन हादसे रोकने के लिए तरह तरह के जतन करने के साथ ही दुर्घटना में मृत हुए व घायलों को मुआवजा देने का कार्य भी किया जा रहा है, लेकिन ट्रेन में सफर से पहले आनलाइन टिकिट बुकिंग के दौरान ही महज 35 पैसे में दस लाख तक का बीमा यात्रियों को होता है, लेकिन आनलाइन बुकिंग के दौरान जहां इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं दी जाती है। तो वहीं रेलवे स्टेशन के टिकिट काउंटर के आफलाइन फार्म में इस बीमा सुविधा ही नहीं है। जिससे यात्रियों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है। जिसका खामियाजा ट्रेन दुर्घटना होने पर भुगतना पड़ता है। जहां जन जागरूकता की कमी के चलते यात्री बीमे की इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाते, जिसके चलते ऐसे रेल हादसे होने पर उनके परिजनों को बीमे का अतिरिक्त लाभ नहीं मिल पाता।
ऑफलाइन टिकट में भी होना चाहिए बीमा का विकल्प
बताया जा रहा है कि ज्यादातर यात्री ऑनलाइन टिकट बुक नहीं कराते जो रेलवे स्टेशन पहुंचकर टिकट काउंटर से अपने गंतव्य तक का टिकट खरीदते हैं या फिर फॉर्म लेकर रिजर्वेशन कराते हैं। लेकिन काउंटर से टिकट खरीदने और फॉर्म लेकर रिजर्वेशन कराने पर भी उन्हें बीमे का कोई ऑप्शन नहीं दिया जाता ,जबकि यही ऑप्शन ऑनलाइन टिकट कराने पर महज 35 पैसे में मिल जाता है।
जबकि कई बार यात्री टिकिट काउंटर पर चिल्लर के चक्कर में पड़ने के बजाय 35 पैसे से अधिक की राशि छोड़ देते है। बात अगर बालाघाट रेलवे स्टेशन की करें तो बालाघाट जिले से विभिन्न स्थानों के लिए एक्सप्रेस ट्रेन गुजरती है वहीं पैसेंजर ट्रेन से भी यात्री गोंदिया, नागपुर, छत्तीसगढ़, जबलपुर सहित अन्य स्थानों का सफर करते है। जिन्हें इस बीमा योजना की जानकारी न होने पर वे बीमा नहीं करा पाते है। आपको बताए कि बालाघाट जिले में भी 1984 में भीषण ट्रेन हादसा हो चुका है। जिसमें करीब 112 लोगों की मौत हुई थी।
2 जून को बालासोर में हुआ था भीषण ट्रेन हादसा
आपको बताएं कि 2 जून की शाम को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेन एक दूसरे से टकरा गई थी जहां इस ट्रेन हादसे में 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं 1000 से अधिक लोग अब भी घायल बताए जा रहे हैं। जहां ओडिशा बालासोर के बाहानगा स्टेशन के पास शालीमार- चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु- हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गई थी, तो वहीं एक अन्य मालगाड़ी के टकराने से यह भीषण ट्रेन हादसा हुआ था। जहां इस हादसे की जांच हर एंगल की जा रही है। वही सरकार द्वारा इस हादसे में घायल हुए लोगों और मृतक के परिजनों को मुआवजा देने का भी ऐलान किया गया है लेकिन यदि टिकट काउंटर में या फिर रिजर्वेशन में बीमे का ऑप्शन मिलता, तो लगभग सभी घायलों और मृतकों के परिजनों को 10 लाख रु तक का मुआवजा अतिरिक्त मिल जाता।
रेलवे मंडल से पत्राचार किया जाएगा-चौधरी
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान बालाघाट रेलवे स्टेशन प्रबंधक केएम चौधरी ने बताया कि रेलवे टिकट काउंटर से टिकट बुक कराने या फिर रिजर्वेशन कराने में बीमा का ऑप्शन नहीं आता है, यह ऑप्शन सिर्फ और सिर्फ ऑनलाइन टिकट खरीदने में आता है ।क्योंकि स्टेशन में जो सॉफ्टवेयर, रेलवे मंडल से दिया गया है उसी का उपयोग होता है और उस सॉफ्टवेयर में बीमा का ऑप्शन नहीं है। यदि काउंटर में भी बीमा का ऑप्शन मिल जाए तो रेलवे यात्रियों को इससे फायदा मिलेगा। साथ ही रेलवे बोर्ड का भी बहुत फायदा है। क्योंकि ऐसे ट्रेन हादसे कभी कबार होते हैं। जबकि यात्री भारी मात्रा में रोजाना ट्रेनों से सफर करते हैं। इसमें रेलवे बोर्ड का भी फायदा है अगर बीमे का ऑप्शन मिल जाए तो यह अच्छी पहल होगी, इसके लिए मंडल से पत्राचार किया जाएगा ।