लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर आपत्ति जैसे कई विवादित मसले सामने आ रहे हैं। विपक्ष चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगा रहा है। चुनाव आयोग की साख पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में चुनाव आयोग के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से मनीष अग्रवाल ने विस्तार से बात की।
सवाल : आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर विपक्ष चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगा रहा है। इसे कैसे देखते हैं आप?
जवाब : देखिए, इसके जवाब में मैं यही कहूंगा कि चुनाव आयोग को ऐसे इंप्रेशन को दूर करने के लिए कुछ प्रयास जरूर करना चाहिए क्योंकि गलती कहीं नहीं है। समस्या है समय पर सही ढंग से अपनी बात नहीं रखने की। जैसे हेट स्पीच की शिकायत हो तो उस पर एक्शन लीजिए। आज के डिजिटल युग में कोई भी मसला सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर आते ही वायरल होने लगता है। कुछ ही घंटे में वह पूरी दुनिया के कई चक्कर काट लेता है। ताजा मामले में अभिषेक सिंघवी सोमवार को आयोग से शिकायत करने गए। इसमें उन्होंने ना तो पूरी रेकॉर्डिंग दी और ना ही स्पीच की ट्रांसक्रिप्ट। बस लिख दिया कि मंगलसूत्र ले लेंगे और दूसरों को बांट देंगे। इस पर तो एक्शन हो नहीं सकता। आयोग ने पूरा ब्योरा मांगा, लेकिन शिकायत करने वाले ने समय पर पूरी डीटेल नहीं दी। दो दिन निकल गए। इधर, सोशल मीडिया पर यह शिकायत कई चक्कर लगा चुकी थी। ऐसे में इंप्रेशन यह जा रहा है कि आयोग से इतने दिन पहले शिकायत की गई, लेकिन अभी तक आयोग सोया हुआ है। अब आप ही बताइए, बिना पूरी डीटेल के आयोग क्या कर सकता है। लेकिन ये बातें आयोग को लोगों के बीच रखनी चाहिए ताकि सभी को रियल टाइम में यह पता लगता रहे कि आयोग से जो शिकायत की गई, वह आधी-अधूरी थी।
सवाल :पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर हेट स्पीच के आरोप भी लगा रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी इस तरह के आरोप लगे। इस तरह के मामलों में चुनाव आयोग को क्या करना चाहिए?
जवाब : प्रधानमंत्री ने अपने चुनावी भाषण में जो कहा, मुझे लगता है कि वह हेट स्पीच में नहीं आता। जहां तक मेरी जानकारी है, उन्होंने विपक्ष के घोषणापत्र की आलोचना करते हुए यह बात कही। अपने आप में कोई कहे कि हिंदुओं के मंगलसूत्र छुड़ाकर उसे मुस्लिमों में बांट देंगे तो यह हेट स्पीच में आएगा। इस पर तुरंत एक्शन हो सकता है। लेकिन अगर किसी के मेनिफेस्टो में यह लिखा गया है तो इसका काउंटर करने वाला भाषण हेट स्पीच में नहीं आएगा। चुनाव के दौरान राजनीतिक दल या उम्मीदवार एक-दूसरे के घोषणापत्रों की आलोचना कर सकते हैं।
सवाल : VVPAT और EVM हैक होने जैसे मसले उठे। आपको क्या लगता है, क्या इन्हें हैक किया जा सकता है?
जवाब : आपको बता दूं कि EVM और VVPAT को ना तो हैक किया जा सकता है और ना ही इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की जा सकती है। असल बात यह है कि अपने देश में राजनीतिक दलों की एक बड़ी समस्या है। उनके जो वर्कर हैं, वे इसी तरह के झूठ बोलकर वरिष्ठ नेताओं की निगाह में अपने नंबर बढ़ाते हैं, क्रेडिट लेते हैं और इसके आधार पर फिर टिकट मांगते हैं। ऐसे वर्कर दावा करते हैं कि हमने तो EVM में इतने वोट डलवा दिए। लेकिन मैं आपको बता दूं कि कोई भी वर्कर, नेता या उम्मीदवार अगर EVM के माध्यम से फर्जी वोट डलवाने की बात करता है तो वह झूठ बोल रहा है। सच यह है कि EVM से फर्जी पोलिंग हो ही नहीं सकती। समस्या है इंसानी कैरेक्टर में। गरीबी इतनी अधिक है कि जिसे पोलिंग एजेंट बनाया गया होता है, कई बार वह दूसरी पार्टी के पैसों के लालच में आ जाता है और ड्यूटी से भाग खड़ा होता है।