कोरोना महामारी के बीते दो वर्षाे में लाखों युवाओं की नौकरियां चली गईं, उद्योग धंधे चौपट हो गये एवं रोजगार पर असर पड़ा और इस बढ़ती महंगाई के बीच गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों का घर चलाना मुश्किल सा हो गया साथ ही पेट्रोल डीजल, रसोई गैस व खाद्य सामग्री की बढ़ती कीमतों ने आम जनता की कमर ही तोड़ दी है।
पिछले एक साल से आर्थिक तंगी की मार झेल रही जनता ने कोरोना महामारी से निजात मिलते देख राहत की उम्मीदों के बीच फिर से अपनी पटरी से उतरी गाड़ी को ट्रैक पर लाने का प्रयास तो किया लेकिन सीमित आमदनी, महंगाई और बढ़ते खर्चों ने आम आदमी की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
कोरोना महामारी के बाद बाजार में मंदी का दौर और अब महंगाई की मार झेल रही जनता रा’य और केंद्र की सरकार से राहत की उम्मीदें लगाकर बैठी है।
देश के पांच राज्यों में चुनाव संपन्न होने के बाद पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस व तेल एवं अन्य खाद्य सामग्रियों के दामों में लगातार वृध्दि हो रही है और लालबर्रा मुख्यालय में १०९ रूपये लीटर मिलने वाले पेट्रोल एक सप्ताह के अंदर १२०.११ रूपये प्रति लीटर पहुंच चुका है और हर रोज ८० रूपये की बढ़ोत्तरी होते जा रही है एवं डीजल १०० रूपये का शतक पार कर चुका है जिससे दो पहिया व चार पहिया वाहन चालक खासा परेशान नजर आ रहे है और महंगाई जिस तरह बढ़ रही है उससे तो ऐसा लगता है कि महंगाई की महामारी आ गई है और महंगाई प्रतिदिन दुगुनी होते जा रही है परन्तु आम आदमी की आमदनी जितनी है उतनी ही है।