सहकारी संस्था के सदस्यों के खातों से फर्जी तरीके से साढ़े 11 लाख रुपये से ज्यादा की रकम आहरित करने वाले आरोपित को सत्र न्यायालय ने पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। आरोपित ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए यह हेराफेरी की थी।
यह मामला करीब 10 साल पुराना है। फरियादी नंदकिशोर ने सितंबर 2011 में राजेन्द्र नगर पुलिस थाने पर शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपित अनिल पुत्र मोहनलाल निवासी तेजाजी मोहल्ला, कोदरिया, महू ने पाटीदार प्राथमिक सहकारी साख संस्थान मर्यादित, हरसोला में सचिव के पद पर रहते हुए संस्था के खातेदारों के खाते में हेराफेरी कर खातेदारों के नाम से फर्जी आहरण फॉर्म भरकर उनके खातों से राशि निकाली और स्वयं के उपयोग में ले ली।
इसमें आरोपित ने संस्था की कैश बुक और सदस्यों के अमानत रजिस्टर में हेराफेरी कर गलत प्रविष्टियां कर 11 लाख 59 हजार 977 रुपये की रकम का गबन किया। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपित के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 के तहत प्रकरण दर्ज किया।
अभियोजन की तरफ से पैरवी करते हुए अपर लोक अभियोजक गोकुलसिंह सिसोदिया ने तर्क रखा कि आरोपित ने पद का दुरूपयोग करते हुए छोटे-छोटे अमानतदार सदस्यों के खाते में जमा रकम का गबन किया है। उसका यह कृत्य गंभीर है। उसे कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए। जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि सत्र न्यायाधीश शहाबुद्दीन हाशमी ने इस प्रकरण में निर्णय पारित करते हुए आरोपित अनिल को पांच साल कठोर कारावास और ढाई हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया।