इजरायल में आईडीएफ के साथ हमास के खिलाफ जंग लड़ रहे भारत से गए 200 से ज्‍यादा लोग, जानिए क्‍यों

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इजरायल और हमास की जंग में 200 से ज्‍यादा भारतीय हमास के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। आपको सुनकर लग सकता है कि शायद भारत से कुछ लोग वहां पर जाकर जंग में हिस्‍सा ले रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। ये वह समुदाय है जो यहूदी है और इजरायल में ही बस गया था। अब जबकि इस समुदाय के सैकड़ों लोग हमास के खिलाफ जंग में शामिल हैं तो हर कोई इनके बारे में जानना चाहता है। शावेई इजरायल जो कि एक गैर-लाभकारी संस्था है, उसकी तरफ से इस बारे में ऐलान किया गया है। संस्‍था ने बताया है कि बेनी मेनाशे समुदाय के 200 से ज्‍यादा सदस्‍य जो कि भारतीय यहूदी हैं, उन्‍हें सात अक्टूबर के नरसंहार के बाद आरक्षित या सक्रिय युद्ध ड्यूटी के लिए बुलाया गया है।

कॉम्‍बेट यूनिट्स में शामिल
भारत से हाल ही में आए आप्रवासियों में से 75 को कॉम्‍बेट यूनिट्स में भर्ती किया गया है। जबकि 140 पूरे इजराइल में रिजर्व ड्यूटी में लगे हुए हैं। इस संस्‍था की स्‍थापना माइकल फ्रायंड ने की थी। येरूशलेम स्थित संस्‍था शावेई इजरायल का मकसद दुनियाभर से प्रवासी समुदायों और इजरायल के बीच संबंधों को मजबूत करना है। संस्था के अनुसार, वे दो दशकों से भी ज्‍यादा समय से बेनी मेनाशे समुदाय के बड़े पैमाने पर हो रहे आप्रवासन का समर्थन करती आ रही है। कहा जाता है कि यह इजरायल की खोई हुई जनजातियों में से ही एक के वंशज हैं। बेनी मेनाशे यानी मनश्शे का बेटा। यह दस खोई हुई जनजातियों में से एक है। इस समय भारत के लॉस्ट ट्राइब समुदायों के करीब तीन हजार सदस्य इजरायल में रहते हैं। बाकी लोग भारत में रहते हैं और यहूदी धर्म का पालन करते हैं।

कितने लोग बचे समुदाय के
फ्रायंड ने मई में द येरूशलम पोस्ट को बताया था कि भारत में कुल 5000 मेनाशे लोग बचे हैं। ये वो लोग हैं जो पिछले कई सालों से इजरायल में प्रवास करने का अनुरोध कर रहे हैं। शावेई इजरायल के मुताबिक भारत से आकर बसने वाले सैन्य उम्र के सभी पुरुषों में से 99 फीसदी हमास के खिलाफ इजरायल की लड़ाई में शामिल हैं। जबकि 90 फीसदी महिलाओं ने नेशनल सर्विस में हिस्‍सा लिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 26 साल की उम्र में बेनी मेनाशे समुदाय के सदस्य नतानेल टौथांग सात अक्टूबर से जारी संघर्ष में इजरायल के उत्तर में हिजबुल्लाह रॉकेट द्वारा दागे गए छर्रे से घायल हो गए थे। टौथांग गिवाती ब्रिगेड के साथ थे जब वह घायल हुए।

भारत के युवाओं ने किया अनुरोध

फ्रायंड ने बताया कि युद्ध छिड़ने के बाद से, शावेई इजरायल को पूर्वोत्तर भारत में युवा समुदाय के सदस्यों से अलियाह को तुरंत बनाने के लिए सैकड़ों अनुरोध मिले हैं। इतना ही नहीं – वो अपने भाइयों और बहनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए तुरंत आईडीएफ में शामिल होने के लिए कह रहे हैं। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स से पता लगता है कि करीब 2500 इजरायली नागरिक, जिनमें से अधिकांश भारत में छुट्टियां मना रहे हैं, सशस्त्र बलों या राष्ट्रीय सेवा में देश सेवा के लिए चुपचाप भारत छोड़ कर इजरायल लौट आए हैं।

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