उम्र के अंतिम पड़ाव में मुआवजे की राशि के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहा बुजुर्ग

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बालाघाट (पद्मेश न्यूज़)। जो उम्र अपने नाती नतरो के साथ खेलने और घर पर रहकर आराम करने की होती है उस उम्र में 85 वर्ष का एक बुजुर्ग, मुआवजा की राशि के लिए कभी शासकीय कार्यालय तो कभी नेताओं के घर के चक्कर काट रहा है लेकिन 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी उसे शासन प्रशासन द्वारा मुआवजा की राशि प्रदान नहीं की गई है मुआवजा की राशि को पाने के लिए बुजुर्ग 17 किलोमीटर का सफर रोजाना साइकिल से तय करता है बावजूद इसके भी उसे सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगा है। मामला थाना वारासिवनी के अंतर्गत आने वाले ग्राम नेवरगांव के गोभी टोला का है जहां 50 वर्षीय बुजुर्ग नत्थू पिता सेवकराम राहांडाले उम्र के अंतिम पड़ाव में दर-दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर हैं। बताया जा रहा है कि बुजुर्ग नत्थू लाल की बहू सेतरा रहांडाले वर्ष 2019 में गांव के पटेल चैतराम चौधरी के खेत में परहा लगाने गई थी जहां विद्युत करंट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई जिसकी मौत पर विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन खनिज मंत्री प्रदीप जयसवाल ने उन्हें कुछ कागज साइन कर दिए थे जिन्हें आरबीसी के तहत 4 से5 लाख रु का मुआवजा दिए जाने की बात कही गई थी इस घटना को 1 वर्ष से भी अधिक समय बीत गया है पर बुजुर्ग को मुआवजे की राशि नहीं मिल पाई है बुजुर्गों मुआवजे की राशि के लिए कलेक्टर, एसडीएम तो कभी अन्य शासकीय कार्यालयों के चक्कर काट रहा है तो कभी वारासिवनी और बालाघाट के नेताओं की चौखट पर दस्तक देने के लिए मजबूर है लेकिन कहीं से भी बुजुर्ग को राहत नहीं मिल पाई है और हर कोई कभी यहां तो कभी वहां आवेदन लगाने की बात कह रहा है जिसको लेकर बुजुर्ग काफी परेशान हैं।
कहीं सुनवाई नहीं हो रही है- नत्थूलाल

इस पूरे मामले की गई चर्चा के दौरान बुजुर्ग नत्थूलाल ने बताया कि उनकी बहू की आकस्मिक मौत पर आरबीसी के तहत प्रकरण बनाया गया था जिसमें 4 से 5 लाख रु की राशि देने की बात कही गई थी 1 वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने पर भी उन्हें अब तक मुआवजा की राशि नहीं मिल पाई है और वे कभी नेताओं तो कभी शासकीय कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं उन्होंने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है उनके परिवार परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है जिसको लेकर वे काफी परेशान है और मुआवजे की राशि के लिए तरह-तरह के जतन कर रहे हैं।

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