ऋण में अटकी खरीफ की खेती,कर्ज के बोझ तले दबे किसान,50 हजार किसानों के आगे खेती की खड़ी मुसिबत

0

जिले के भीतर नोतपे के समाप्त होते ही 3 जून को प्री मानसून बारिश हो गई। निश्चित ही बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी किसानों ने खेतों का रुख कर लिया और धान की फसल उत्पादन के लिए खेतों को तैयार करने में जुट गए। जिससे समय पर धान की बोनी और रोपाई का काम किया जा सके। लेकिन इस बीच इस वर्ष परिस्थितियां कुछ अलग दिखाई दे रही है। जिले के किसान की खेती की रीड की हड्डी कहे जाने वाले सोसायटी से इस बार 48 फीसदी किसानो को धान का बीज और खाद मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर दिखाई दे रही है। इसकी मुख्य वजह किसानों द्वारा समय पर पिछली फसल में लिए गए ऋण की अदायगी नहीं करना है।

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस वर्ष अमूमन 3 जून को मानसून केरल तट से टकरा जाएगा और वहां से चलकर लगभग 20 से 22 जून तक बालाघाट जिले में प्रवेश कर जाएगा। इसे देखते हुए और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होते ही मिरग की शुरुआत कर अरदडा तक खेत पूरी तरह तैयार तो करना चाह रहा है लेकिन उसके सामने खरीफ की फसल के दौरान लिए गए ऋण की अदायगी बड़ा सवाल और चिंता का विषय बना हुआ है। इस बात को लेकर किसान बहुत अधिक चिंतित दिखाई दे रहे हैं बिना सोसाइटी के मदद खेती कैसे होगी।

हमने जिला मुख्यालय से लगी हुई पंचायत के कुछ किसानों से चर्चा की तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कह दिया कि इस बार मौसम की मार हवा तूफान और बाढ़ की वजह से पहले ही फसल खराब हो चुकी है इस पर कोरोना ने सारे काम प्रभावित कर दिए। नतीजा से 30 जून तक पैसा तो नहीं जमा कर पाएंगे, इसलिए उनका डिफाल्टर होना तय है, चिंता इस बात की है कि खेती का काम कैसे होगा।

बालाघाट काली पुतली स्थित केंद्रीय सहकारी मर्यादित बैंक की मुख्य शाखा से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते वर्ष खरीफ की फसल के दौरान जिले के 1 लाख 10 हजार किसानों को 4 सौ 44 करोड़ रुपया ऋण दिया गया। हालांकि 31 मार्च तक इस सारे ऋण की वसूली किया जाना था। कोरोना की वजह की वसूली प्रभावित हुई तारीख 31 जून तक बढ़ा दी गई अब भी जिले की भीतर 2 सौ 4 करोड़ रुपए की वसूली होना बाकी है।

बालाघाट काली पुतली स्थित केंद्रीय सहकारी मर्यादित बैंक की मुख्य शाखा से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते वर्ष खरीफ की फसल के दौरान जिले के 1 लाख 10 हजार किसानों को 4 सौ 44 करोड़ रुपया ऋण दिया गया। हालांकि 31 मार्च तक इस सारे ऋण की वसूली किया जाना था। कोरोना की वजह की वसूली प्रभावित हुई तारीख 31 जून तक बढ़ा दी गई अब भी जिले की भीतर 2 सौ 4 करोड़ रुपए की वसूली होना बाकी है।

किसान की अपनी मजबूरी है और सहकारिता बैंक की अपनी मजबूरी दोनों ही अपनी मजबूरियों के आगे बंधे हुए हैं। लेकिन इन मजबूरियों के बीच जिले की दो लाख 78 हजार हेक्टेयर भूमि पर उत्पादन किए जाने वाले धान की फसल थोड़ी अटकी सी दिखाई दे रही है।

48 फ़ीसदी किसानों ने ऋण की अदायगी नहीं की है तो लगभग अनुमान के मुताबिक आधे रकबे में धान की फसल का उत्पादन करने में किसानों के आगे बढ़ी परेशानी खड़ी होना तय है, ऐसे में इस बार जिले में धान का उत्पादन बहुत अधिक प्रभावित ना हो जाए, हालांकि अभी समय है सरकार कोई नया फैसला करें और किसानों को राहत दे यही इंतजार अब किसान करते दिखाई दे रहे है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here