भारतीय सेनाओं के लिए 15 साल से चल रहा हल्की स्वदेशी असॉल्ट राइफल का इंतजार और बढ़ गया है। उत्तरप्रदेश में अमेठी के पास कोरवा में कलासनिकोव सीरीज की एके 203 असॉल्ट राइफल का प्लांट शुरू नहीं हो पाया है। रूस-यूक्रेन के बीच 300 दिन से अधिक समय से चल रहे युद्ध का साया इस प्लांट के ऑपरेशनल होने पर पड़ा है।
अभी कोरवा ऑर्डिनेस फैक्ट्री परिसर में इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) के प्लांट का निर्माण कार्य जारी है।
अब अगले साल शुरू होगा प्रोडक्शन
यहां ऑर्डिनेस फैक्ट्री के दो-तीन हॉल पहले से तैयार हैं। राइफल टेस्टिंग के लिए इनडोर फायरिंग रेंज सहित प्रोडक्शन लाइन का निर्माण जारी है। IRRPL में रूसी इंजीनियरों और स्किल्ड टीम का रिक्रूटमेंट हो चुका है। जो भारतीय टीम को ट्रेनिंग देगी। अब 2023 में राइफल का प्रोडक्शन शुरू होने की संभावना है।
रूसी हथियार कंपनी रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के महानिदेशक अलेक्सांद्र मिखीव कह चुके हैं कि कोरवा से 2022 के अंत तक एके-203 का उत्पादन होना था। प्रोजेक्ट थोड़ा लेट हो गया है। 40 हजार राइफल्स के बैच में चरणबद्ध तरीके से स्वदेशी सामग्री को 5% से 100% किया जाएगा।
सीधे मिलने वाली पहली खेप में भी देरी
अभी सेना के तीनों अंगों के पास करीब 8 लाख स्वदेशी इंसास (इंडियन स्माल आर्म्स सिस्टम) राइफल हैं। इस डील के तहत इंसास की जगह 20 हजार एके 203 की पहली खेप सीधे रूस से आनी हैं। यूक्रेन से युद्ध के चलते इसमें भी देरी हो रही हैं। डील के तहत ये दस साल का प्रोजेक्ट है। 1.20 लाख राइफल्स के बाद पूर्ण स्वदेशी राइफल तैयार होगी।
देरी के अन्य दो कारण
- टेक ट्रांसफर- भारत टेक ट्रांसफर के बाद 100% स्वदेशीकरण चाहता है। रूस अभी 60% पर ही सहमत है।
- रेट – एक राइफल की कीमत 80 से 90 हजार रुपए तक आएगी। भारत इस राइफल के रेट को कम करना चाहता है।
हल्की और हर मौसम में कारगर एके-203
- स्पीड: 1 मिनट में 700 राउंड फायर क्षमता
- रेंज: 500 से 800 मीटर यानी 1649 से 2620 फीट
- मैग्जीन: एक में 30 राउंड।
- वजन: 3.8 किलो
- बैरल: 16.3 इंच
- कैलिबर: 7.62 एमएम
- लंबाई: 705 मिलीमीटर