यदि किसी वाहन का इंश्योरेंस एक्सीडेंट की तारीख को वैध था, तो बीमा कंपनी की देयता को समाप्त नहीं किया जा सकता। भले ही कोई फिटनेस प्रमाण पत्र (एफसी) नहीं हो। हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसले में यह तर्क दिया। न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के तर्क को नकारते हुए, न्यायमूर्ति एचपी संदेश ने कहा 2018 में दो निर्णयों में उच्च न्यायालय ने कहा था कि वैध एफसी नहीं होना एक मौलिक उल्लंघन नहीं था। जस्टिस एचपी संदेश ने कहा अपीलकर्ता-बीमा कंपनी का मुख्य तर्क यह था कि उस स्थान पर वाहन चलाने की अनुमति और एफसी नहीं होने के बावजूद, ट्रिब्यूनल ने लायबिलिटी तय करने में गलती की। बीमा कंपनी के तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा यदि किसी वाहन का बीमा दुर्घटना की तिथि के अनुसार वैध था, तो फिटनेस प्रमाणपत्र (एफसी) न होने पर भी बीमा कंपनी क्लेम देने से इनकार नहीं कर सकती है। दरअसल मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के तहत, हर मोटर वाहन के पास एक वैलिड फिटनेस सर्टिफिकेट (एफसी) होना अनिवार्य है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वाहन सड़कों पर चलने के लिए सही हैं। इसके लिए जब फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जाता है तो प्राइवेट और कमर्शियल कार दोनों का रजिस्ट्रेशन बहुत आसान हो जाता है। बता दें कि अब से सभी पुरानी गाड़ी रखने वाले लोगों के लिए विंड शील्ड पर फिटनेस सर्टिफिकेट लगाना अनिवार्य हो गया है।