नगर के वार्ड नंबर 8 देवी तालाब के समीप स्थित बिंझवार मोहल्ला में दो परिवारों के आपसी विवाद के कारण एक शव को अंतिम संस्कार करने के लिए घर से सड़क तक ले जाने के लिए रास्ता नहीं मिल पाया। जिसके कारण उसका गुरुवार को अंतिम संस्कार नहीं हो पाया और शाम तक भी शव ले जाने रास्ता दिए जाने का इंतजार किया जा रहा है।
आपको बताये कि वार्ड नंबर 8 बिंझवार मोहल्ला निवासी 70 वर्षीय भाऊलाल अमुलकर का बुधवार की रात्रि में निधन हो गया, जिसका गुरुवार की सुबह अंतिम संस्कार होना था। उसे मोक्षधाम तक ले जाने यह कहे कि घर से सड़क तक ले जाने रास्ता नहीं मिल पाया।
शव को ले जाने रास्ता नहीं मिलने तथा परिजनों के परेशान होने की जानकारी लगते ही प्रशासनिक अमला भी पहुंचा लेकिन यह मामला सुलझ नहीं सका।
बताया जा रहा है कि मृतक भाऊलाल अमूलकर और उनके पड़ोसी के बीच वहा की जमीन को लेकर कई वर्षों से विवाद चल रहा था तथा यह मामला न्यायालय पहुंच गया था और न्यायालय द्वारा पड़ोसी के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के कारण पड़ोसी द्वारा दीवार खड़ी कर दिए जाने के कारण भाऊलाल अमूलकर के परिवार द्वारा अपने परिचित के घर के अंदर से आना-जाना किया जा रहा था।
पड़ोसी पक्ष का कहना है कि यह पूरी जमीन उनकी है और कोर्ट द्वारा उनके पक्ष में फैसला दिया गया है जिसके कारण उन्होंने यह दीवार खड़ी की है। वही इस परिवार का कहना है कि प्रशासन शव को ले जाने व्यवस्था बनाए क्योंकि जिनके घर से अब तक वे आना-जाना कर रहे थे उस परिवार द्वारा शव को घर के अंदर से शव ले जाने मना कर दिया गया है। सभी लोगों द्वारा यही प्रयास किया जा रहा था कि किसी तरह इसका हल निकले और शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा सके। प्रशासन द्वारा कोई रास्ता निकाला जाएगा इसी आस में सुबह से लेकर शाम हो गई लेकिन घर में शव रखा का रखा रह गया।
यही नहीं शाम को भी प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा जिसमें अपर कलेक्टर शिवगोविंद मरकाम, सीएसपी अपूर्व भलावी, तहसीलदार रामबाबू देवांगन, कोतवाली थाना प्रभारी कमल सिंह गहलोत प्रमुख रूप से मौजूद रहे। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा शव को अंतिम संस्कार के लिए किसी अन्य प्रकार से बाहर निकालने की बात कही गई, लेकिन परिवार उस पर सहमत नहीं हुआ और दीवार तोड़कर ही शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की बात कही गई। इसके चलते प्रशासनिक अधिकारियो के काफी मान मनव्वल के बावजूद भी शव को बाहर रास्ते तक नहीं लाया जा सका। और बाद में अधिकारी भी लौट गए।
मृतक के पुत्र राकेश अमूलकर का कहना है कि यह शव उनके पिताजी का है उनके घर के लिए आने जाने का प्रॉपर रास्ता नहीं है जिसके चलते यह परेशानी हो रही है। पहले साइड से रास्ता था लेकिन वर्तमान स्थिति में बंद है, पड़ोसियों के यहां से आना जाना पड़ता है लेकिन अभी पड़ोसियों द्वारा भी शव को उनके घर से ले जाने मना कर दिया गया है। पिछले 15 – 16 वर्षों से इस रास्ते का मामला कोर्ट में चल रहा है, शव को मोक्षधाम ले जाने के लिए रास्ता दिया जाए इसी का इंतजार किया जा रहा है।
इसी तरह अन्य परिजन का कहना है कि वे यहां पिछले 50 वर्षों से रह रहे हैं, पहले से ही यहां से रास्ता है। सामने दूसरे पक्ष के लोगों का आंगन पड़ता है इसलिए आंगन से आने नहीं देंगे कहते हुए जबरन दीवार बनाई गई जबकि यह नजूल की भूमि है।
पड़ोस में रहने वाले परिचित शिवलाल समनपूरे का कहना है कि यह परिवार पिछले 25 वर्षों से उनके घर से आना जाना कर रहा था लेकिन हम मृत बॉडी को घर से ले जाने की अनुमति देना नहीं चाहते। अनुमति देंगे तो इन्हें कभी रास्ता नहीं मिलेगा, प्रशासन इस रास्ते को खोलें हम यही चाहते हैं।
वही पड़ोस में रह रहे दूसरे पक्ष के व्यक्ति रामलाल ने बताया कि इस रास्ते को लेकर पहले से ही विवाद था। हमारे पिताजी ने अपनी भांजी को यहां रहने दिया था यह जो रह रही है उनकी सभी लड़की नहीं है लेकिन कब्जा बनाकर बैठी है और मुझे गोद लिए है कह रही है। यह मामला कोर्ट में चला गया था, वर्ष 2005 से कोर्ट में केस चल रहा है कोर्ट से निर्णय भी हो गया जो हमारे पक्ष में रहा। अगर यह उनकी जगह है तो प्रमाण दिखाये।
तहसीलदार रामबाबू देवांगन ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मौके पर जाकर मृतक के परिवार को काफी समझाइश दी गई लेकिन वह परिवार किसी अन्य माध्यम से शव को बाहर निकालने सहमत नहीं हुआ। इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर आज रात तक के लिए शव को परिवार पर छोड़ दिया गया है। चूंकि यह मामला न्यायालय में चल रहा है इसलिए कलेक्टर एसपी द्वारा भी दबाव बनाने मना कर दिये, बाजू से दीवाल के रास्ते शव को निकाल सकते हैं लेकिन वह परिवार नहीं मान रहा है। परिवार के लोग कहते हैं दीवार तोड़कर ही शव को निकालेंगे, फिर भी हमें लगता है परिवार के लोग जल्द मान जाएंगे।