एनसीसी कैडेट्स के द्वारा 26 जुलाई को कारगिल लड़ाई मिशन विजय की 25वीं वर्षगांठ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान सभी एनसीसी कैडेट्स टिहलीबाई शासकीय माध्यमिक शाला परिसर में एकत्रित हुए जहां से रैली निकाली गई। यह रैली नगर के विभिन्न चौक चौराहा का भ्रमण करते हुए जय स्तंभ चौक पहुंची। इस दौरान वीर जवान अमर रहे भारत माता की जय के जमकर उद्घोष लगाए गए। जय स्तंभ चौक पर वारासिवनी नगर एवं क्षेत्र के शहीद जवानों की जानकारी दी गई की कारगिल की लड़ाई में अशोक मेश्राम शहीद हुए थे शुभम राहंगडाले एवं मनोज वरकड़े भी अपनी पोस्टिंग पर ट्रेनिग के दौरान शाहिद हुए। यह बताने के बाद उन्हें और अन्य शहीद जवानों के लिए संयुक्त रूप से 2 मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद उपस्थित जनों के द्वारा 26 जुलाई विजय दिवस पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम ऑपरेशन बद्र रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी। प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति के बारे मे पता चला जिससे भारतीय सेना को एहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर की गयी है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2 लाख सैनिकों को कारगिल क्षेत्र मे भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे। इस युद्ध में हमारे सैनिकों ने असंभव को संभव कर दिखाया अपने बेहतर और उत्कर्ष शौर्य का प्रदर्शन किया जिनकी याद में यह विजय दिवस पर हर वर्ष मनाया जाता है। इस अवसर पर हेमंत मंडाले शलभ सिंह बैस, ओम खोण्ड सहित एसएसपी महाविद्यालय, सीएम राइज स्कूल, नवोदय विद्यालय के कैडेट व गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।