मध्यप्रदेश के लिए एजुकेशन का हब माने जाने वाले बालाघाट में बीते एक पखवाड़े से महाविद्यालय में दाखिले की दौड़ के प्रति छात्रों कि नए रुझान को देखते हुए, तो यही लग रहा है कि एमए एमएससी में एडमिशन के लिए एक एक पॉइंट की होड़ लगी हुई है। वहीं दूसरी और डीएड-बीएड में तीन काउंसलिंग के बाद भी 40 फ़ीसदी सीट खाली पड़ी हुई है।
5 नवंबर से 10 नवंबर के मध्य मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यूजी और पीजी क्लास में एडमिशन के लिए चौथे चरण किस सीएलसी काउंसलिंग की शुरुआत की तो ऐसा लगा की बची हुई सीट पर एडमिशन लेने के लिए कुछ गिने-चुने छात्र ही महाविद्यालय पहुंचेंगे लेकिन 5 नवंबर को पहले दिन ही महाविद्यालय में हुई भीड़ से स्पष्ट हो गया की यह कहानी कुछ अलग बनने वाली है।
5 नवंबर से 10 नवंबर के बीच बालाघाट और वारासिवनी महाविद्यालय में यूजी और पीजी दोनों क्लासों में सीट बढ़ाई गई यहां तक कि वर्तमान समय की सीट का लगभग दोगुना कर दिया गया बावजूद इसके एक-एक परसेंटेज और एक एक पॉइंट के लिए हर दिन बहुत अधिक कंपटीशन दिखाई दिया।
यह सब कुछ हम आपको इसलिए बता रहे हैं और दिखा रहे हैं। क्योंकि अब तक जिले के भीतर बीएड और डीएड में एडमिशन के लिए जो भीड़ और जो कंपटीशन दिखाई देता था। इस वर्ष उससे उलट एमए एमएससी में एडमिशन के लिए दिखाई दिया। क्योंकि आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान समय में डीएड- बीएड की तीन काउंसलिंग होने के बाद भी 40 फ़ीसदी सीट खाली पड़ी हुई है। कुछ कॉलेजों की मान्यता तक समाप्त होने की नौबत आ गई है।
दाखिले की दौड़ में इस बात के संकेत दे दिए कि वर्तमान समय में यूजी की पढ़ाई कर रहे बीए और बीएससी के छात्रों के लिए आगामी वर्षों में पीजी क्लास में एडमिशन लेना कितना कठिन होगा और परसेंटेज के आधार पर कट ऑफ लिस्ट कितनी अधिक ऊपर जाएगी।
इस इन सब बातों के पीछे जानकारी यही बताते हैं कि बीते कुछ वर्षों से प्रदेश शासन द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बरती गई सुस्ती के कारण बीएड डीएड से छात्रों का अनुभव हो गया तो वही एमए एमएससी की ओर रुझान अपने आप बढ़ गया।
वही इसका दूसरा कारण कोविड-19 के छात्र आने पर जिले में जाने में डर रहे हैं या फिर ऑनलाइन पढ़ाई और होने वाले खर्चे से बचते हुए जिले के भीतर पहचान एमए एमएससी करना चाहते हैं।
5 नवंबर से 10 नवंबर के मध्य मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यूजी और पीजी क्लास में एडमिशन के लिए चौथे चरण किस सीएलसी काउंसलिंग की शुरुआत की तो ऐसा लगा की बची हुई सीट पर एडमिशन लेने के लिए कुछ गिने-चुने छात्र ही महाविद्यालय पहुंचेंगे लेकिन 5 नवंबर को पहले दिन ही महाविद्यालय में हुई भीड़ से स्पष्ट हो गया की यह कहानी कुछ अलग बनने वाली है।
5 नवंबर से 10 नवंबर के बीच बालाघाट और वारासिवनी महाविद्यालय में यूजी और पीजी दोनों क्लासों में सीट बढ़ाई गई यहां तक कि वर्तमान समय की सीट का लगभग दोगुना कर दिया गया बावजूद इसके एक-एक परसेंटेज और एक एक पॉइंट के लिए हर दिन बहुत अधिक कंपटीशन दिखाई दिया।
यह सब कुछ हम आपको इसलिए बता रहे हैं और दिखा रहे हैं। क्योंकि अब तक जिले के भीतर बीएड और डीएड में एडमिशन के लिए जो भीड़ और जो कंपटीशन दिखाई देता था। इस वर्ष उससे उलट एमए एमएससी में एडमिशन के लिए दिखाई दिया। क्योंकि आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान समय में डीएड- बीएड की तीन काउंसलिंग होने के बाद भी 40 फ़ीसदी सीट खाली पड़ी हुई है। कुछ कॉलेजों की मान्यता तक समाप्त होने की नौबत आ गई है।
दाखिले की दौड़ में इस बात के संकेत दे दिए कि वर्तमान समय में यूजी की पढ़ाई कर रहे बीए और बीएससी के छात्रों के लिए आगामी वर्षों में पीजी क्लास में एडमिशन लेना कितना कठिन होगा और परसेंटेज के आधार पर कट ऑफ लिस्ट कितनी अधिक ऊपर जाएगी।
इस इन सब बातों के पीछे जानकारी यही बताते हैं कि बीते कुछ वर्षों से प्रदेश शासन द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बरती गई सुस्ती के कारण बीएड डीएड से छात्रों का अनुभव हो गया तो वही एमए एमएससी की ओर रुझान अपने आप बढ़ गया।
वही इसका दूसरा कारण कोविड-19 के छात्र आने पर जिले में जाने में डर रहे हैं या फिर ऑनलाइन पढ़ाई और होने वाले खर्चे से बचते हुए जिले के भीतर पहचान एमए एमएससी करना चाहते हैं।