मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत उमरी में बारिश के बाद खेत जलमग्न हो गए है. बारिश के दो दिन बाद भी खेत में लगी धान की रोप दिखाई नहीं दे रही है. खेतों में लगी धान की पौध लगातार पानी में रहने से खराब होने की बात किसानों ने कहीं है. करीब 1 दर्जन से अधिक किसानों ने लगभग 20 एकड़ में लगी धान की पौध खराब होने का अनुमान लगाया गया है. इसके अलावा उमरी बस्ती में भी कई जगह जलभराव की स्थिति निर्मित हुई है. दरअसल, उमरी में जगह-जगह जलभराव होने का प्रमुख कारण वारासिवनी-कटंगी सडक़ निर्माण के बाद नाली का निर्माण नहीं होना है. बारिश के पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं होने की वजह से सडक़ से पानी उतरकर सीधे खेतों में जमा हो गया. वहीं गांव के भीतर बस्ती में और चनई नदी के करीब पंचायत की नाली और पुल को एमपीआरडीसी ने सडक़ निर्माण के दौरान बंद कर दिया गया. जिस कारण यहां से पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. वहीं अब तक नाली का निर्माण भी नहीं किया गया. ग्रामीणों ने कई बार एमपीआरडीसी के अधिकारी दीपक आड़े और स्थानीय प्रशासन को नाली निर्माण कराने की मांग करते हुए ज्ञापन भी सौंपा किन्तु सूत्रों का कहना है कि राजनैतिक हस्तक्षेप होने की वजह से नाली का निर्माण नहीं हो पाया. फिलहाल एमपीआरडीसी की लापरवाही और राजनैतिक दखल होने से ग्रामीण परेशान है. उनकी धान की रोप बर्बाद हो गई है. वहीं लोगों के घरों में जलभराव हो रहा है। ज्ञात रहे कि बीते दिनों उमरी के ग्रामीणों ने गांव में नाली निर्माण कराने की मांग को लेकर सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन किया था तब प्रशासन ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि शीघ्र ही नाली का निर्माण किया जाएगा किन्तु नाली का निर्माण नहीं किया गया जिस कारण अब बारिश के बाद खेतों में पानी जमा हो गया है. ग्रामीण और किसानों ने प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराते हुए व्यवस्था बनाने की मांग की है. गौरतलब हो कि उमरी में बरसाती पानी से 20 एकड़ में धान की रोपे प्रभावित हुए है. इसमें फिर से धान की रोपाई करने के लिए किसानों को अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा और अगर किसान ऐसा कर भी ले तो कोई गुंजाइस नहीं कि फिर खेतों में जलभराव ना हो. मतलब फसल खर्च अधिक पैदावार कम रहने का अंदेशा बना हुआ है. बारिश में फसल खराब होने पर सबसे अधिक नुकसान ठेके पर जमीन लेकर काश्त करने वाले किसानों को होगा. उनके द्वारा दूसरी बार धान की रोपाई करने से फसल पर दोगुना खर्च तो जरूर बढ़ेगा, इसके बावजूद भी फसल की अच्छी पैदावार से दोनों फसलों पर होने वाले खर्च की भरपाई होने की कोई तसल्ली नहीं है. बहरहाल, किसान और ग्रामीण बारिश के पानी की निकाली करने के लिए नाली निर्माण करवाने की मांग कर रहे है।
इनका कहना है
एमपीआरडीसी द्वारा सडक़ निर्माण के दौरान नालियों और छोटे-छोटे नालों को बंद किया गया जिनकी मरम्मत या नवनिर्माण आज तक नहीं किया गया है जिस कारण खेतों और घरों में जलभराव की स्थिति बन रही है अगर शीघ्र ही व्यवस्था नहीं बनाई गई तो ग्रामीणों के साथ मिलकर आंदोलन किया जाएगा।