कोरोना संक्रमण महामारी की दूसरी लहर में जिस तरह मरीजों को ऑक्सीजन की कमी हुई उसके बाद जिले के हर जनप्रतिनिधि ने अपनी विधायक निधि दोनों हाथों से ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए दे दी लेकिन वक्त बीतने के बाद भी ऑक्सीजन प्लांट शुरू नहीं हो सके।
पद्मेश न्यूज़ ने जब इस विषय पर पूरी पड़ताल की तो पूरा मामला सामने आ गया जिला स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्टोर कीपर से लेकर ऑक्सीजन प्लांट के तकनीकी स्टाफ ने बताया कि वरिष्ठ स्तर से अभी ऑक्सीजन प्लांट स्टार्ट करने की अनुमति नहीं मिली है। जब तक अनुमति वाला प्रमाण पत्र सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा तब तक प्लांट शुरू नहीं हो सकता। मतलब आप सही समझ रहे हैं कि 15 अगस्त और उसकी आसपास की तारीख में जो स्वास्थ्य विभाग और जनप्रतिनिधियों ने ऑक्सीजन प्लांट की विधिवत शुरुआत की थी वह आक्सीजन प्लांट अभी शुरू नहीं हुआ है उसे अभी प्रमाणपत्र की जरूरत है।
जिला अस्पताल के स्टोर कीपर गणेश मरावी ने बताया कि वरिष्ठ स्तर से मिलने वाला स्वीकृति प्रमाण पत्र नहीं मिलने की वजह से प्लांट अभी शुरू नहीं हो पाया है बालाघाट जिला अस्पताल को सर्टिफिकेट का इंतजार है उसी के बाद प्लांट शुरू हो पाएगा।
ऑक्सीजन प्लांट के लिए आउट सोर्स पर तकनीकी सेवाएं देने वाले शुभम ठाकुर ने बताया कि जिला अस्पताल में दो प्लांट लगाए गए हैं एक 1000 लीटर का है तो दूसरा 400 लीटर का है। प्लांट शुरू हो जाने पर जिला अस्पताल के सभी आपसी जनरेट तक ऑक्सीजन सप्लाई हो पाएगी वहीं दूसरी ओर आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन बनाई जा सकती है इंतजार वरिष्ठ स्तर से मिलने वाली स्वीकृति का है।
चलिए आपको ऑक्सीजन प्लांट से जुड़ी हुई पूरी कहानी बताते हैं दरअसल हर विधायक ने अपनी विधायक निधि इस बार ऑक्सीजन प्लांट सहित अन्य मेडिकल सेवाओं के लिए जनता हित में स्वीकृत आक्सीजन प्लांट लगाए जाने के लिए स्वीकृत करवाई।
बात भी सही है कोरोना की दूसरी लहर ने जो कोहराम मचाया उससे हर कोई ऑक्सीजन को लेकर चिंतित था। इस चिंता को देखते हुए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने का काम शुरू हुआ। जिला अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट, वारासिवनी, लांजी, बैहर में एक-एक ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम करवाया गया। प्लांट तो लग गए लेकिन अब तक इन प्लांट से ऑक्सीजन बनने का काम शुरू नहीं हुआ।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा ही लगातार जुलाई माह से सचेत किया गया कि सितंबर-अक्टूबर 2021 में कोविड-19 की तीसरी लहरा आ सकती है। शुक्र है कि ऐसा हुआ नहीं। ऐसी में बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या? स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से कोविड से लड़ने के लिए तैयार था। जो सवाल उस समय उठ रहे हैं जब 3 महीने पहले जिन ऑक्सीजन प्लांट का विधिवत तौर पर शुरुआत की जा चुकी है। उनसे आज तक ऑक्सीजन बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है। मतलब साफ है कि अभी तो जिले में लगे ऑक्सीजन प्लांट को ही वरिष्ठ स्तर से मिलने वाले सर्टिफिकेट रूपी ऑक्सीजन की जरूरत है। उसके बाद ही वह जिले के जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन दे पाएगा। देखना अब यह है कि स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ स्तर से यह कार्य कब तक पूरा किया जाता है? जिससे यह अक्सीजन प्लांट शुरू हो सके।