ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख से मिले चीन के चाणक्‍य वांग यी, टेंशन में आया भारत, जानें कितना खतरा

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इस्लामाबाद: चीनी विदेश मंत्री वांग यी फिलहाल पाकिस्तान के दौरे पर हैं। भारत और अफगानिस्तान की यात्रा के बाद बाद वांग इस्लामाबाद पहुंचे हैं। गुरुवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पाक सेना के चीफ असीम मुनीर के साथ उच्च-स्तरीय बैठक की है। इस बैठक से साफ है कि चीनी सरकार पाकिस्तान में आर्मी और मुनीर के प्रभाव को पहचान रही है और मान्यता दे रही है। मुनीर की वांग यी से यह मुलाकात भारत की चिंता को बढ़ा सकती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मुनीर और वांग यी की बातचीत में अफगानिस्तान और भारत पर विशेष ध्यान दिया गया। विश्लेषक इसे पश्चिमी गठबंधनों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती सुरक्षा व्यवस्था, विशेष रूप से अमेरिका समर्थित क्वाड के विरुद्ध रणनीतिक संदेश को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं।

चीन का पाक को समर्थन

वांग यी ने चीन के पाकिस्तान को निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया है। पाकिस्तान और चीन में इसे सामान्य बैठक कहा जा रहा है लेकिन इससे कई चिंताएं पैदा होती हैं। खुफिया सूत्रों को लगता है कि पाकिस्तान की सेना के साथ चीन का सीधा कनेक्ट नागरिक संस्थानों को दरकिनार करता है। इससे सेना की सर्वोच्चता की धारणा को बल मिलता है।

वांग यी और मुनीर की इस बैठक में आतंकवाद से लड़ने पर जोर दिया गया है। इससे संदेह पैदा होता है कि आतंकवाद-रोधी अभियानों के बहाने पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और बलूचिस्तान में चीनी सुरक्षा बलों का विस्तार कर सकता है। यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से जुड़े हैं और इनका भारत के बॉर्डर के पास होना कई चिंताएं पैदा करेगा।


भारत की चिंता

पर्यवेक्षकों का मानना है कि वांग-मुनीर बैठक भारत के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव और क्वाड देशों और मध्य पूर्वी साझेदारों के साथ उसके रणनीतिक संबंधों के मुकाबले के लिए चीन-पाकिस्तान समन्वय को मजबूत करने का एक सोचा-समझा कदम है। इस घटनाक्रम से क्षेत्रीय मतभेद और गहराने की आशंका है। एक्सपर्ट का कहना है कि चीन का पाकिस्तान को खुला सैन्य समर्थन भारत के सुरक्षा हितों के लिए चुनौती है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार से मुलाकात के बाद चीनी विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की तारीफ की है। वांग ने स्पष्ट कहा है कि चीन और पाकिस्तान के बीच विश्वास और निष्ठा का बंधन है, जो हर परिस्थिति में एक-दूसरे के प्रति दृढ़ और विश्वसनीय मित्र की तरह खड़े रहते हैं। पाकिस्तान के लिए चीन के इस रुख में कोई बदलाव नहीं आने जा रहा है।

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