आज प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का आगमन हो रहा है । जिले में भाजपा के कद्दावर नेता बालाघाट विधायक एवं कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त गौरीशंकर बिसेन के कार्यकलापों के चलते मुख्यमंत्री का यह दौरा कार्यक्रम विवादो से घिर गया है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह का जिले में दो स्थानों पर कार्यक्रम है और दोनो ही स्थानों में अलग-अलग किस्म के बहिष्कार घोषित हो गये हैं। बालाघाट में पत्रकारों द्वारा मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के बहिष्कार के जनक गौरी भाऊ हैं तो वारासिवनी क्षेत्र में शिवराज सिंह के कार्यक्रम का स्वयं उन्ही की पार्टी भाजपा के नेता ही कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे हैं, तो इसमें भी परदे के पीछे चिंगारी (प्रदीप जायसवाल को लेकर सुलग रही)को हवा देने का काम भाऊ ने ही किया है। पिछले कुछ दिनों से गौरी भाऊ लगातार विवादों में है, और इन विवादों को लेकर लगातार जिले के राजनैतिक हलकों, प्रशासनिक अधिकारियों, विपक्ष के नेताओ, आम नागरिकों और तो और स्वयं उनकी पार्टी भाजपा के नेताओं में भी भाऊ चर्चा का विषय बन गए है। हालांकि उनके बारे में कहावत है कि वे अपने हर चुनाव के कुछ दिन पहले स्वयं को इस स्थिति में ले आते हैं, लेकिन चुनाव को तो अभी एक साल से अधिक का समय बाकी है ,इस बार जल्दी ही उनके इस स्थिति में आने को लेकर जमकर बहस लोगों में छिड़ी हुई है। आजकल भाऊ जहां भी जा रहे हैं वहीं कुछ ऐसा बयान दे देते है जिसमें लोगों को वाद-विवाद करने का मौका मिल जाता है। आजकल उनके द्वारा जो लगातार घोषणाएं की जा रही है उस बारे में लोग कहने लगे है कि इस तरह की घोषणाएं तो केवल मुख्यमंत्री ही कर सकता है, तो ऐसे में लोगों को लगने लगता है कि कहीं भाऊ मुख्यमंत्री तो नहीं बन रहे, कुछ दिन पूर्व की ही बात है उनके किसी चहेते ने सोशल मीडिया में तो गारंटी के साथ डाल ही दिया था कि भाऊ मध्य प्रदेश के राज्यपाल बन रहे हैं। वैसे भी भाऊ कई मौकों में गाहे बगाहे मुख्यमंत्री बनने की अपनी हसरत का इजहार करते ही रहे हैं। इसी तरह उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच प्रदीप जायसवाल का नाम लिए बगैर उनकी तरफ इशारा करते हुए खुला एलान किया है कि निर्दलीय को कमल का निशान नहीं मिलेगा। इसका मतलब ही है कि वे प्रदेश संगठन की ओर से घोषणा ठोक रहे हैं। कभी भाजपा नेताओं से सांसद डॉक्टर ढालसिंह बिसेन के खिलाफ हाथ उठवा कर हाथों की गिनती कर लेते है कि अबकी बार वे नही चलेंगे। इस तरह आजकल भाऊ का भाजपा में जिले में एक छत्र राज चल रहा है, संगठन को तो उन्होंने बगल में रख लिया है, जिसकी आवाज दबी हुई है। अब तो भाऊ के ही हाथों भाजपा की कमान है। एक समय था जिले में जब भाजपा संगठन और सत्ता का पृथक महत्व था। आज जिले में भाजपा संगठन और कांग्रेस संगठन दोनों की ही स्थिति बराबर है, अर्थात दोनों ही दलों में सक्रिय संगठन जैसी कोई बात दिखाई नहीं दे रही। वैसे भाजपा के राष्ट्रीय एवं प्रदेश के नेतृत्व को भाऊ की योग्यता को सराहना चाहिए और उन्हें सम्मानित करते हुए कोई बड़ा पद, बड़ी जिम्मेदारी देनी चाहिए क्योंकि भाऊ में ही वो योग्यता है जो शायद पार्टी के राष्ट्रीय एवं प्रदेश के नेताओं में भी नहीं है और वह यह है कि बालाघाट जिले में कांग्रेस संगठन का संचालन भी भाऊ ही कर रहे हैं। कांग्रेस संगठन के साथ ही साथ भाऊ कांग्रेस के एक पूर्व तथा एक वर्तमान विधायक को भी अपनी उंगलियों के इशारों पर नचा रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व विधायक से हो रही भाऊ की गलबहियां ने उस क्षेत्र के भाजपा विधायक को भी चिंता में डाल दिया है, क्योंकि चुनाव के अंतिम दौर में जातीय प्रेम पार्टी से परे जाकर उमड़ ही जाता है। कटंगी क्षेत्र में भी भाऊ यही खेला कर रहे हैं, कांग्रेस में टिकिट की दावेदार महिला नेत्री जो जिला पंचायत में अध्यक्ष की कुर्सी से दूर रह गई, उन्हें भाऊ ने आश्वासन तो दे ही दिया है कि कांग्रेस नहीं तो क्या हुआ भाजपा में तो पक्की है। तभी तो जिला पंचायत में खेला चलता रहा अध्यक्ष पद पर सफलता हाथ नहीं लगी तो क्या हुआ आखिर में सभापति चुनाव में तो खेला हो ही गया और पंजे में कमल खिल ही गया।
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