पिछले महीने से प्रतिबंध लागू होने के बावजूद शहर से प्रतिदिन कचरा स्टेशनों पर 20 मीट्रिक टन अमानक पालीथिन पहुंच रही है। शहर में निकलने वाले कचरे में इसकी मात्रा कम नहीं हो रही है। बीते एक जुलाई 2022 से प्रदेश में सिंगल यूज पालीथिन और अमानक पालीथिन का विक्रय, खरीद और इस्तेमाल प्रतिबंधित है। इसका पालन नहीं करने पर दोषियों के खिलाफ सजा और जुर्माने की कार्रवाई का भी प्रविधान किया गया है। मालूम हो कि बीते तीन वर्षों में प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दो दर्जन से अधिक पालीथिन फैक्ट्रियों को बंद कराया जा चुका है। अब शहर में इसकी आपूर्ति गुजरात, नोएडा और दिल्ली के आसपास के जिलों से की जा रही है। बता दें कि नगर निगम द्वारा प्लास्टिक के निष्पादन के लिए कलेक्शन सेंटर स्थापित किए गए हैं। शहर से रोजाना 850 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसमें 30 मीट्रिक टन से अधिक कचरा प्लास्टिक का होता है। इसमें करीब दस टन प्लास्टिक को रिसाइकिल कर लिया जाता है, जबकि 20 मीट्रिक टन कचरा नान रिसाइकिल होता है। वहीं शहर में प्रतिदिन 20 से 25 मीट्रिक टन पालीथिन शहर में प्रतिदिन खपाई जा रही है। सप्ताहिक हाट और मुख्य बाजारों में अमानक पालीथिन का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इन्हें पकड़ने और प्रतिबंध को कारगर बनाने में नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अमला लापरवाही दिखा रहा है। जबकि पुराने शहर में 50 से अधिक थोक विक्रेता हैं, इनके बड़े गोदामों में क्विंटलों पालीथिन मौजूद है। लेकिन अधिकारी हाथ ठेला और सब्जी की दुकानों में कार्रवाई कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। प्लास्टिक कचरा के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक की कुल 19 वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल हैं। पर्यावरणविद सुभाष सी पांडेय ने बताया कि कोरोना के बाद आम लोगों में यूज एंड थ्रो का चलन बढ़ा है। इससे शहर में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत भी बढ़ गई है। अब यहां प्रति व्यक्ति द्वारा निकलने वाले औसतन 350 ग्राम कचरे में करीब 15 प्रतिशत प्लास्टिक होता है। इसमें 10 से 12 प्रतिशत प्लास्टिक रिसाइकिल करने योग्य होता है, जबकि दो से तीन फीसदी नान रिसाइकेबल होता है। मतलब प्रति व्यक्ति दस ग्राम अमानक पालीथिन की खपत हो रही है। मप्र में सिंगल यूज प्लास्टिक और पालीथिन को प्रतिबंधित किए हुए 60 दिन का समय बीत चुका है।लेकिन नगर निगम अमले द्वारा 50 व्यापारियों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की है। हालांकि इसका इस्तेमाल करने वाले हाथठेला, किराना और सब्जी दुकानों के 100 से 200 रुपये का स्पाट फाइन लगाया जा रहा है। लेकिन बड़ी कार्रवाई से निगम के अधिकारी भी बच रहे हैं। इसका बड़ा कारण पीलीथिन आपूर्तिकर्ताओं और थोक विक्रेताओं के बड़े अधिकारी और नेताओं से संपर्क है। प्रतिबंधित पालीथिन के इस्तेमाल पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि हमारे पास कार्रवाई के अधिकार नहीं हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कार्रवई के लिए जाते भी हैं, तो पालीथिन पर चालानी कार्रवाई और जुर्माना नगर निगम लगाता है। बोर्ड केवल मानीटरिंग बाडी है। इस बारे में भोपाल नगर निगम आयुक्त केवीएस कोलसानी चौधरी का कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक और अमानक पालीथिन विक्रय, खरीदी और इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई की जा रही है। जोन स्तर पर अमले का गठन किया गया है। अब इसमें और सख्ती की जाएगी।