कच्चे मकानो पर टूट रहा बारिश का कहर

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इस वर्ष हुई बारिश ने लोगो के कच्चे आशियानो को काफी नुकसान पहुॅचाया है। ग्राम पंचायत मेहंदीवाड़ा मे ३० सितंबर को फिर एक मकान गिर गया। जिससे परिवार की घर गृहस्थी का सामान दब गया वही पीडि़तो को अन्य स्थान पर शरण लेनी पड़ी है। हालांकि इस दौरान किसी प्रकार की जनहानि नही हुई है। उक्त मकान कमलाबाई पति चंपालाल वर्शीकर का है जिन्होने इस बात की सूचना ग्राम सरपंच को दे दी है।
बारिश के चलते दो दिन पूर्व गिरा है हमारा मकान – कमला बाई
पद्मेश को जानकारी देते हुये पीडि़त कमलाबाई वर्शीकर ने बताया कि पानी की वजह से उनका मकान गिरा है। यह कच्चा मकान है जिसमे अब पति पत्नी रहते थे। मकान गिरने से हमारा राशन पानी बर्तन, संदूक दब गया है। हमे आवास योजना का लाभ भी नही मिला है। हमने सरपंच को भी इस बात की सूचना दी है अब हम यह चाहते है कि हमे उचित मुआवजा मिले और आवास योजना का लाभ भी मिले ताकि हम पक्के मकान मे रह सके।
हमने बकायदा गिरे हुये मकानो का किया है निरिक्षण – किशोर तामेश्वर
जब इस संबंध मे ग्राम पंचायत मेहंदीवाड़ा के सरपंच प्रतिनिधि किशोर तामेश्वर से पद्मेश ने चर्चा की तो उन्होने बताया कि हमारे ग्राम पंचायत अंर्तगत कई कच्चे मकान गिरे है वही पक्के मकान की दीवार गिरी है। हम बकायदा जिनके मकान गिरे है उनके घर जाकर निरिक्षण कर रहे है और इसकी सूचना पटवारी को दे रहेै। मगर पटवारियो की हड़ताल के चलते सर्वे कार्य नही हुआ है। जो मकान गिरे है उन पीडि़तो को आवास योजना प्लस का लाभ भी नही मिला है। मगर ऐसे हितग्राही जो मकान का लाभ लेने से वंचित है जिन्होने अभी तक आवेदन तक नही किया है वे लाडली बहना आवास योजना अंर्तगत ५ अक्टूबर तक आवेदन कर सकते है। ताकि उन्हे इस योजना का लाभ मिल सके। वही आवास प्लस मे जिन्होने आवेदन किया है उसकी सूची का हमे इंतजार है।
जनपद अंर्तगत गिरे है अनगिनत मकान
यहा यह बताना लाजमी है कि जनपद पंचायत अंर्तगत आने वाली ग्राम पंचायतो मे अनेक कच्चे मकान गिरे है। जो मकान गिरे है उन्हे आवास योजना का लाभ नही मिला है। जिसकी वजह से पीडि़त लोग अपने सगे संबंधी या फिर किराये के मकान मे रहकर अपना जीवन निर्वाह कर रहे है। वही यह लोग काफी गरीब लोग है जिनके पास घर गृहस्थी का सामान भी मकान गिरने से दब गया है। जिनके सामने घर गृहस्थी के सामान के साथ ही खाने पीने की सामग्री खरीदने के लिये काफी परेशानी हो रही है। ऐसे मे शासन प्रशासन को इस और ध्यान देना चाहिये।
बाईट पीड़ित कामला बाई

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