कटंगी(पद्मेश न्यूज)। प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मचारियों, विभागीय कर्मचारियों की कमी है. सरकार लगातार इन रिक्त पदों पर शीघ्र ही नियुक्ति करवाने का दावा कर रही है. मगर, सरकार के दावों में कितना दम है यह अब भी सरकारी अस्पतालों में रिक्त पदों की हालत को देखकर लगाया जा सकता है. इन रिक्त पदों पर नियुक्तियां कब होगी ? यह बड़ा सवाल है और सरकार लगातार इस सवाल के जवाब से बचते आ रही है. कटंगी अस्पताल में भी रिक्त पदों की संख्या करीब 2 दर्जन के आस-पास है जिसमें चिकित्सकों से लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी और स्वीपर जैसे पद खाली है. फिलहाल तो इस अस्पताल में चिकित्सक की कमी या उपचार नहीं मिलने से भले ही किसी की मौत का मामला अब तक सामने नहीं आया है लेकिन सडक़ हादसों या अन्य प्राकृतिक घटनाओं में मरने वाले लोगों के परिजनों से पीएम के नाम पर जमकर लूट हो रही है. दरअसल, यह लूट स्वीपर का पद रिक्त होने की वजह से हो रही है. बता दें कि अस्पताल में स्वीपर नहीं होने के कारण पीएम के दौरान बाहर से स्वीपर को बुलाया जाता है जो मृतकों के परिजनों से शव को हाथ लगाने के लिए मनमाने पैसे की मांग करते है। शनिवार को इसका एक ताजा उदाहरण और देखने को मिला. शनिवार को सरकारी अस्पताल कटंगी में पाथरवाड़ा तालाब में डूबे एक युवक के शव को पीएम के लिए लाया गया था। जिस युवक की मौत हुई थी उसका परिवार बेहद गरीब था पुलिस जब शव को पीएम के लिए लाई तो अस्पताल में स्वीपर नहीं होने के बाद बाहर से स्वीपर को बुलाना पड़ा। जिसने शव को हाथ लगाने के लिए परिवार से पैसों की डिमांड की यह रकम इस गरीब परिवार के लिए इतनी अधिक थी कि गांव के लोगों के सामने परिवार को हाथ फैलाना पड़ा। आप कल्पना कीजिए कि जिस किसी भी गरीब परिवार में ऐसा हादसा होता है और उस पर वैसे दुखों का पहाड़ टूट जाता है वह परिवार स्वीपर को कहां से पैसे लाकर देगा. ज्ञात हो कि बाहर से आने वाला स्वीपर पैसों की मांग करता है इस बात की जानकारी अस्पताल प्रबंधन बीएमओ और पुलिस को भी है पंरतु यह जिम्मेदार लोग मजबूर दिखाई पड़ते है। दरअसल, सरकारी अस्पताल कटंगी में एक मात्र स्वीपर है जो अस्पताल में साफ-सफाई का काम करता है. शव के पीएम दौरान अलग से स्वीपर बुलाया जाता है जो मृतक के परिवार से मनचाही रकम की मांग करते है और जब तक पैसे ना मिले तब तक लाश का हाथ तक नहीं लगाते। निसंदेह बाहर से आने स्वीपर का पैसे लेना लाजमी है लेकिन यह व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन को करनी चाहिए क्योंकि अस्पताल में स्वीपर नहीं है तो इसके लिए अस्पताल प्रबंध और जनप्रतिनिधि जिम्मेदार है जनता का आर्थिक शोषण करना अनुचित है।