करवा चौध: महिलाओं का व्रत चंद्रोदय के साथ होगा पूरा

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महिलाएं आज अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही है। इस व्रत की तैयारी महिलाएं दो दिन पहले से ही कर रही थी। पूजन सामग्री खरीदने के लिए महिलाओं की बाजारों में भारी भीड उमड रही है। वहीं विशेष श्रंगार के लिए शहर के ब्यूटी पार्लरों पर भी अपेक्षाक्रत ज्यादा महिलाएं पहुंच रही है। व्रत की तैयारी के लिए महिलाओं ने तैयारी पूरी कर ली है। गुस्र्वार की रात चांद निकलने पर पूजन कर चांद का दर्शन कर पति की लंबी उम्र की कामना की जाएगी। इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा जिसे पूजन के लिए विशेष माना जा रहा है। चंद्रोदय रात 8:10 बजे होगा। राजधानी के ज्योतिषाचार्य के अनुसार, करवा चौथ के दिन कृतिका नक्षत्र शाम 7:24 बजे तक रहेगा। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा जो कि 14 अक्टूबर को रात 9:11 बजे तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि और सूर्य कन्या राशि में विराजमान रहेंगे। रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का पसंदीदा नक्षत्र है क्योंकि यह सबसे लंबे समय तक यहां रहता है। करवा चौथ के दिन रोहिणी नक्षत्र में चंद्रदेव को अर्घ्य देने से जीवन में संपन्नता व खुशहाली आने की मान्यता है। पूजन में उपयोग की जाने वाली सामग्री की खरीदारी के लिए महिलाएं विशेष रूप से बाजार पहुंचीं। करवा चौथ की पूजन सामग्री में सबसे आवश्यक वस्तु करवा होता है। यह मिट्टी का बना टोंटी वाला छोटा सा कलश होता है, जिसके ऊपर ढंकने के लिए मिट्टी का दीया होता है। मिट्टी की जगह पीतल का करवा भी लिया जा सकता है, लेकिन मिट्टी के करवे की अधिक मान्यता होती है। मिट्टी के दो दीये। करवे में लगाने के लिए कांस की तीलियां। पूजन के लिए कुमकुम, चावल, हल्दी, अबीर, गुलाल, मेहंदी, मौली, फूल, फल, प्रसाद आदि। रात में चंद्र दर्शन के बाद पति का चेहरा देखने के लिए छलनी। जल से भरा कलश या आचमनी। चौकी, करवा चतुर्थी पूजन का पाना अर्थात् चित्र जिसमें चंद्रमा, शिव, पार्वती, कार्तिकेय आदि के चित्र बने होते हैं। करवे में भरने के लिए गेहूं, शकर, खड़े मूंग।करवा चौथ कथा की पुस्तक, धूप, दीप। सुहाग की सामग्री जिसमें हल्दी, मेहंदी, काजल, कंघा, सिंदूर, छोटा कांच, बिंदी, चुनरी, चूड़ी

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