प्रदेश सरकार द्वारा बीते कुछ सालों से पंचायतों की बिजली बिल में दिखाई गई दरियादिली के हालात यह हो गए हैं कि बालाघाट जिले की 5 सैकड़ा से अधिक पंचायतों का बकाया बिजली बिल 7 करोड़ के लगभग पहुंच गया है। जिसमें 4 करोड रुपए की राशि कुछ दिन पहले भेजी गई है जो अब तक समाहित नहीं हुई।
कुछ इसी तरह के हालात बालाघाट शहरी क्षेत्र में संचालित नल जल योजना का है जिसने भी कुल जमा 1 करोड़ 25 लाख रुपया बिजली बिल लिया जाना बाकी है। इस तरह जिले के भीतर कुल 4 करोड़ 25 लाख रुपया बिजली वितरण कंपनी की देनदेरी बाकी है।
बिजली वितरण कंपनी के अधिकारी स्वयं बताते हैं कि अनुमाति आकडे के अनुसार जिले की हर पंचायत में वर्तमान समय में नल जल योजना संचालित है।
एक दशक पहले पीएचई विभाग के सुपुर्द होने पर बिजली बिल का भुगतान विभागीय अधिकारी करते थे। उसके बाद बिल का भुगतान अधिकतर पंचायत को ट्रांसफर हो गया। तब पंचायत अपने सरकारी अनुदान से बिजली बिल का भुगतान करती है। फिर वर्ष 2018 से इन बिजली बिलों के भुगतान की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ने ले ली थी, और कुछ राशि का भुगतान भी कर दिया इसमें पंचायत के सरपंच सचिव बेफिक्र हो गए और धड़ल्ले से बिजली का उपयोग करने लगे। धीरे-धीरे बिजली कंपनी का मीटर घूमता रहा और बिजली बिल की राशि करोड़ों में पहुंच गई।
सरकार की दरियादिली के चक्कर में भुगतान नहीं हो सका नतीजा बिजली वितरण कंपनी ने नोटिस जारी करना शुरू किया तो सरकार ने उल्टा एक आदेश जारी कर दिया की नल जल योजना बेहद संवेदनशील मुद्दा है इसीलिए इसकी बिजली ना काटी जाए।