किसानों को प्रकृति की दोहरी मार

0

बालाघाट(पदमेश न्यूज़)
पल-पल में बदलते जा रहे हैं मौसम के चलते जहां एक ओर मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है तो वही बदलते मौसम ने किसानों की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ा दी है।क्योंकि आए दिनों मौसम में बदलाव के साथ कभी बे मौसम बारिश,कभी धूप ,कभी छाव और तो कभी मौसम ढका होने के चलते मुख्यतः धान की फसल में बदरा रोग सहित अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया हैं। तो वही अब कीट पतंगे भी किसानों की फसलों को बर्बाद करने में कोई कसर नही छोड़ रहे है ।बताया जा रहा है कि यदि इस रोग की मात्रा बढ़ गई तो किसानों को भारी नुकसान होगा।उधर पल-पल बदलते मौसम के बीच कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एडवाइजर जारी की है।जिन्होंने अपनी धान की भूरा ,मऊ, औऱ कीट पतंगों से सुरक्षा करने की सलाह दी है। तो वही मौसम वैज्ञानिकों द्वारा आगे भी मौसम में भारी बदलाव आने के संकेत दिए हैं। मतलब साफ है कि यदि मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी सच साबित होती है और फिर से बे मौसम बारिश,मौसम में उतार चढ़ाव होता है तो किसानों के खेतों में लहलहाती फसल बर्बाद हो जाएगी तो वही धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा बदरा महू सहित अन्य रोग भी काफी तेजी से फसलों में फैल जाएगा। जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा ।

किसानों के माथे पर खिंची चिंता की लकीरें
बेमौसम बारिश से धान की सेहत खराब हो रही है। धान बदराने लगी है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस प्राकृतिक आपदा से किसानों को नुकसान होने की संभावना प्रबल बनी हुई है। इधर, खरीब सीजन की धान कटाई, मिसाई की किसान तैयारी हैं। अधिकांश किसान बेमौसम बारिश से फसल को बचाने में जुटे हुए हैं। लेकिन कृषि कार्य में मौसम का उतार चढ़ाव खलल डाल रहा है। ऐसे में किसानों के माथे में चिंता की लकीरें ला दी है।

रोग से उत्पादन होगा कम
किसानों के अनुसार मौसम में खराबी के चलते धान में बदरा रोग लगता है। इस बीमारी में पौधों में धान तो लगता है लेकिन उसके अंदर दाना नहीं होता है। इस वर्ष यह रोग सभी किसानों के खेतों में देखने को मिल रहा है। किसानों का कहना है कि यदि मौसम में लगातार इसी तरह बदलाव होते रहा तो खरीब सीजन में भी धान का उत्पादन काफी प्रभावित होगा। जिससे किसानों को नुकसान होने की संभावना बनी हुई है।

देरी से लगाने वाली धान पर भी पड़ रहा असर
किसानों ने बताया कि कुछेक किसानों ने खरीब सीजन में देरी से धान की रोपाई की थी। ऐसे में उन फसलों पर भी मौसम का असर पड़ रहा है।हालांकि, देरी से लगने वाली फसल के लिए यह बारिश अच्छी है। लेकिन बदलते तापमान से इसमें भी रोग लगने की संभावना बनी हुई है।

पहले बारिश तो अब किट पतंगे पहुँचा रहे नुकसान
अतिवृष्टि से परेशान किसान अब फसलों पर अब कीट व्याधी के प्रकोप से परेशान है। जानकारी के अनुसार सितंबर माह में जिले में हुई भारी बारिश से जिले के खासकर नदी किनारे बसे गांवों के किसानों की हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो गई थी। अब बेमौसम बारिश और धूप निकलने से किसानों की फसलों पर कीट प्रकोप देखा जा रहा है। इस कारण एक बार फिर किसान चिंतिंत नजर आ रहे हैं। फसलों पर नए नए कीटों का प्रकोप देखने को मिल रहा है।जिससे फसले नष्ट हो रही है।

इन क्षेत्रो में दिख रहा ज्यादा प्रकोप
जानकारों ने बताया कि लालबर्रा, लामता और लांजी क्षेत्र में इन दिनों आर्मी वर्म, फौजी कीट, सावरटेही कीट का प्रकोप देखने में आ रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ही नहीं अपितु सामान्य क्षेत्र में भी कीटों का खासा प्रकोप देखने को मिल रहा है। किसान कृषि अधिकारियों एवं विशेषज्ञों से इस संबंध में सलाह लेते दिखाई दे रहे है कि इन कीटों के प्रकोप से कैसे बचा जा सके।

रात के समय फसल कर रहे चट
इधर कृषि विभाग ने इन कीट के लक्षण भी बताए हैं। बताया गया कि यह कीट आम तौर पर रात में धान के खेतों को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट पत्तियों के साथ-साथ बालियों को भी काटता है। यह कीट दिन के समय में खेत की मेढ़ों में छिप जाता है, जो शाम होते ही अंधेरे में फसलों को चट करना शुरू कर देता है। इस संबध में कृषि विशेषज्ञों ने खेतों का सर्वे करना शुरू कर दिया है। जिन क्षेत्रों से धान की फसल पर फौजी कीट की सूचनाएं मिल रही हैं। विशेषज्ञ मेढ़ों का निरीक्षण कर किसानों को दवा के छिडक़ाव की सलाह दे रहे। विभिन्न प्रकार की दवाईयां कृषि विशेषज्ञ किसानों को बता रहे है।जिसमे सर्व प्रथम मेंढो पर दवाईयों का छिड़ांव करने की सलाह दी जा रही है।

बाघ नदी के किनारे प्रकोप
कीटों के इस प्रकोप को लेकर लांजी बाघ नदी के किनारे के क्षेत्र में भी परेशानी बताई जा रही है। ग्राम पंचायत कुलपा के पुर्व जनपद सदस्य राजू मेंढे ने सर्वे किए जाने की मांग कर बताया की बाघ नदी के किनारे में बसे गांव जो कि बाघ नदी के किनारे स्थित है। अधिकतर किसानों की फसल नदी के किनारे के क्षेत्र है। इस वर्ष बाघ नदी में बाढ़ आने से लगभग पूर्ण रूप से खेती प्रभावित हो गई है और जो बची कुची फसलें है, उन पर अब कीटों का प्रकोप देखने मिल रहा है। यह सावरदेही, माहू, आर्मी वर्म आदि कीट के चलते फसलें नष्ट हो रही है। शासन प्रशासन से मांग है कि जल्द जल्द फसलों का सर्वे कार्य किया जाकर किसानो को मुआवजा प्रदान करना चाहिए।

फसलों पर दे विशेष ध्यान- अगासे
मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान मौसम विज्ञान केंद्र बड़गांव कृषि वैज्ञानिक डॉ धर्मेंद्र अगासे ने बताया कि वर्तमान मौसम की स्थिति में धान के खेत में सावरटेही, आर्मी वर्म, फौजी कीट, भूरा माहु की निरंतर निगरानी की सलाह दी जाती है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसल के बीच में जाएं और पौधे के निचले हिस्से में मच्छर जैसे कीट देखें। यदि कीड़ों की संख्या ईटीएल से ऊपर है, तो इमिडा क्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एससी / 1.0 मिली 3 लीटर पानी का छिडक़ाव करने की सिफारिश की जाती है। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो एपाइमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्लू जी 100 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें।इसी तरह चावल का शीथ ब्लाइट दुनिया भर में आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण चावल रोगों में से एक है। यह रोग अनाज की उपज और गुणवत्ता में महत्वपूर्ण कमी का कारण बनता है। सबसे अनुकूल वातावरण फसल काल के दौरान जब रात्रि का तापमान 20 से 22 से. व आद्र्रता 95 प्रतिशत से अधिक होती है, तब इस रोग का तीव्र प्रकोप होने की संभावना होती है। एजोक्सिस्ट्रोबिन और टेबुकोनाजोल का इस्तेमालए करें। इस समय फसलों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here