प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं का उपार्जन प्रारंभ हो गया है। इस बार 19 लाख 81 हजार किसानों ने उपज बेचने के लिए पंजीयन कराया है। इसमें से दो लाख 16 हजार किसानों के खसरे ऐसे हैं, जिनमें दर्ज नाम का पंजीयन के साथ मिलान नहीं हो रहा है। सरकार ने इस बार खरीदी में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए प्रत्येक किसान का सत्यापन करने का निर्णय लिया है। जब तक खसरे और पंजीयन में दर्ज नाम का मिलान नहीं हो जाता है, तब तक संबंधित किसान से उपज नहीं ली जाएगी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग अब इन खसरों की तहसीलदारों से जांच करा रहा है।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग के संचालक दीपक सक्सेना ने बताया कि 36 लाख 92 हजार 962 खसरों की जांच की गई है। इसमें दो लाख 16 में भूमि स्वामी को जो नाम है, उसका मिलान पंजीयनकर्ता से नहीं हो रहा है। खसरे आधार से लिंक हैं। जब तक पंजीयन और खसरे में दर्ज नाम का मिलान नहीं हो जाता है, तब तक संबंधित किसान से उपार्जन भी नहीं हो सकेगा। इसके लिए सभी तहसीलदारों से सत्यापन करने के लिए कहा है। साथ ही समितियों को यह अधिकार भी दिए गए हैं यदि किसान किसी वजह से खसरे में नाम परिवर्तन नहीं करा पाया हो तो वो संबंधित दस्तावेज ले जाकर सुधार करवा सकता है
यह हो सकते हैं कारण
– भूमि स्वामी ने संबंधित खसरे की भूमि सिकमी (किराए) पर दी हो और उसी किसान ने पंजीयन कराया हो। इससे नाम में अंतर आ आएगा।
– भूमि स्वामी की मृत्यु होने पर वारिसों ने खसरे में नाम परिवर्तन नहीं कराया हो और पंजीयन अपने नाम से कराया हो।
– मंदिर या ट्रस्ट की भूमि पर बटाई पर लेकर खेती करने वाले ने पंजीयन कराया हो।
– उपार्जन केंद्र स्तर पर कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके पंजीयन कराया गया हो।
एक हजार से ज्यादा मामले
जिला- खसरे की संख्या
छतरपुर- 34,873
रीवा – 15,895
सतना- 12,980
जबलपुर- 12,182
ग्वालियर-10,009
नर्मदापुरम- 9,559
निवाड़ी- 7,307
सीहोर-6,754
राजगढ़- 6,720
पन्न्ा-6,097
दतिया- 5,784
इंदौर-5,738
टीकमगढ़- 5,573
शिवपुरी-5,501
सिवनी-5,047
सिंगरौली-4,505
अशोक नगर- 4,348
उज्जैन-4,081
सागर- 3,996
कटनी- 3,805
शाजापुर-3,686
छिंदवाड़ा-3,266
भिंड- 3,134
रायसेन- 2,810
भोपाल- 2,247
देवास-2,007
उमरिया- 1,979
मुरैना-1,942
धार-1,736
सीधी-1,752
खंडवा-1,612
मंदसौर-1,554
श्योपुर-1,301
रतलाम-1,301
झाबुआ-1,269
बैतूल-1,230