2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए गेमचेंजर साबित होने वाला किसान कर्जमाफी का मुद्दा ही उपचुनाव में उसकी मुसीबत बढ़ा रहा है। किसान बाहुल्य वाले विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशियों को किसानों को कर्जमाफी के मुद्दे पर समझाना मुश्किल हो रहा है। प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस तमाम तरह की सफाई दे रही है, लेकिन दस दिन में किसानों का कर्ज माफ करने की बात का वह जवाब नहीं दे पा रही है।
गौरतलब है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान हर चुनावी सभा में कहा करते थे कि कांग्रेस की यदि राज्य में सरकार बनी तो 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा।उन्होंने कहा था कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री को बदलने से भी नहीं हिचकेंगे। इधर, भाजपा भी उपचुनाव में इस मुद्दे को हवा दे रही है।
पहली फाइल कर्जमाफी की पास
मध्य प्रदेश में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में किसानों की कर्जमाफी को कांग्रेस पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया था। इसी चुनावी वादे (वचन) की बदौलत कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता के वनवास को खत्म करने में कामयाब रही थी।
दिसंबर 2018 में कमल नाथ ने मुख्यमंत्री बनने के एक घंटे अंदर किसानों की कर्जमाफी से जुड़ी फाइल को पास कर दिया था, लेकिन 15 महीने के बाद सियासत ने ऐसी करवट ली कि कमल नाथ विपक्ष में और शिवराज सत्ता में हैं।