केंद्र सरकार ने बढाया कपड़ा खरीदी पर 7% टैक्स !

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केंद्र सरकार ने नवंबर महीने में एक नोटिफिकेशन जारी कर कपड़ों पर लगने वाले जीएसटी को 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया है।जिसके बाद से ही कपड़ा व्यापारियों में ना सिर्फ रोष देखा जा रहा है बल्कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से देशभर के कपड़ा व्यापारी काफी नाराज हैं। जिसके चलते पिछले कुछ दिनों से देशभर के कपड़ा व्यापारी केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का अपने अपने स्तर पर विरोध कर रहे हैं। जिसका असर बालाघाट नगर में भी देखा जा रहा है जहां रेडीमेड कपड़ा एंड हैंडलूम एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए गुरुवार को काली पट्टी बांधकर कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई है जहां उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे फिलहाल दुकानें बंद नहीं करेंगे केवल ज्ञापन सौंपकर केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध जताएंगे।यदि सरकार जीएसटी टैक्स को दुगनी से भी अधिक करने का फरमान वापस नहीं लेगी तो फिर समस्त कपड़ा व्यापारी, राष्ट्रव्यापी आह्वान पर सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे।

 मनुष्य की पहली प्राथमिकता रोटी,कपड़ा और मकान है जहां रोटी और मकान लगातार बढ़ती जा रही महंगाई के चलते पहले से कहीं अधिक महंगे हो गए हैं तो वहीं केंद्र सरकार ने अब कपड़ा को भी और अधिक महंगा करने का फैसला किया है।जिसके लिए सरकार अब कपड़े पर दोगुना से अधिक टैक्स वसूल करेगी। जिसका नोटिफिकेशन सरकार द्वारा जारी कर दिया गया है।जिसके मुताबिक अब आम उपभोक्ताओं से कपड़े खरीदी पर 5% जीएसटी की जगह अब 12% जीएसटी की वसूली की जाएगी। मतलब साफ है कि लगातार बढ़ती जा रही इस महंगाई के बीच केंद्र सरकार, कपड़े पर भी दुगने से अधिक जीएसटी लगाकर पहले से महंगे कपड़े को और अधिक महंगा कर देगी।जहां 2 दिन बाद यानी नए साल से कपड़ों पर 5% की जगह 12% जीएसटी की वसूली की जाएगी। जिससे जहां एक और आम उपभोक्ताओं की जेब और अधिक ढीली होगी तो वहीं व्यापारियों का व्यापार उठने की जगह पुनः बैठ जाएगा।जिसको लेकर कपड़ा व्यापारी सरकार का विरोध कर रहे हैं।

 ज्ञात हो कि करीब दो वर्षों से कोरोना के काल के दौरान वर्तमान में व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले हैं और व्यापारियों व ग्राहकों पर कोरोना की मार साफ तौर पर दिखाई दे रही है जिसके चलते बाजारों में पहले जैसी ग्राहकी नहीं दिखाई दे रही हैं। बाजारों में रौनक करीब खत्म ही हो चुकी है। पिछले त्योहारी सीजन भी कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। वहीं फिलहाल पांच प्रतिशत जीएसटी रेडीमेड कपड़ों पर सरकार की ओर से तय की गई है जिसके कारण भी ग्राहकों को कपड़े खरीदने से पहले सौ बार सोचना पड़ रहा है। यदि जीएसटी 12 प्रतिशत लगा दी गई तो कपड़ा व्यवसाय पर आर्थिक संकट आएगा। जहा लघु उद्योगों पर 12 प्रतिशत जीएसटी का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ेगा।जहा एक हजार रुपये के कपड़े की खरीद पर करीब पांच प्रतिशत टैक्स सरकार की ओर से वसूला जा रहा है। वहीं छोटे शहरों के कपड़ा व्यापारियों के लिए जीएसटी मुसीबत का सबब बन सकता है क्योंकि बाजार में ग्राहकी न के बराबर है। 

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