कोरोना संक्रमण काल के दौरान कोई भी गरीब व्यक्ति भूखा ना रहे इसके लिए शासन द्वारा 25 श्रेणी के हितग्राहियों को 3 महीने का निशुल्क राशन वितरण करने का ऐलान किया गया था लेकिन जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर बड़ी कुम्हारी गांव के हालात से पता लगाया जा सकता है कि योजना की मैदानी हकीकत क्या है? कैसे लोग राशन के लिए परेशान हैं जिनका कार्ड बना है उन्हें राशन नहीं मिला और जिनका कार्ड नहीं बना वह केवल दूर से देखकर योजना सुन और देख देखकर अपनी किस्मत पर रो रहे हैं कि कब उनका राशन कार्ड बनेगा?
जब हमने ग्रामीणों से चर्चा की तो परत दर परत शासन की इस हर गरीब की थाली में अनाज और भूखा नहीं रहने देने वाली योजना का पता चलते गया। दो दर्जन अधिक ही ऐसे लोग मिले जो आज नहीं वर्षों से अपना राशन कार्ड बनवाने के लिए शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही।
गांव की जवाहरलाल जंघेले बताते हैं कि उनकी एरिया में 15 से 20 घर ऐसे हैं जहां पर लोगों के राशन कार्ड नहीं बने जब भी बाढ़ आती है सर्वे होता है और शांत आंवला मिलती है कि राशन कार्ड बनवा दिए जाएंगे लेकिन वह दिन कब आएगा यह उन्हें भी नहीं पता। मेहनत मजदूरी करने वाले परिवार अब उधार और कर्ज कर परिवार चला रहे हैं।
गांव की यशवंती विश्वकर्मा बताती है कि उनके द्वारा जनप्रतिनिधियों से लेकर पंचायत के कर्मचारियों को राशन कार्ड बनाने के लिए कई बार आवेदन और निवेदन किया गया, बाकी दिनों में तो जैसे तैसे परिवार पाल लेते हैं कोरोना काल मे बहुत अधिक परेशानी जा रही है।
गाँव में ही छोटा सी झोपड़ी बनाकर रह रही मंतुरा मनकर बताती है कि उन्होंने तो उम्मीद छोड़ दी है कि उनका कभी राशन कार्ड भी बन पाएगा फिर राशन दुकान से राशन की बात तो बहुत दूर की है।
जब हमने इस विषय पर गांव के जिम्मेदारों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि सोसाइटी में कार्यरत सेल्समैन कोरोना पॉजिटिव हो गए थे, इसलिए वे बीते दिनों से कोरोन टाईन है, बात उन हितग्राहियों की जिनके राशन कार्ड नहीं बने हैं तो इस विषय पर सीधा जवाब नहीं दे पाए।
निश्चित ही कुम्हारी गांव जिला प्रशासन के लिए दिया तले अंधेरा वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। जहां के लोगों के वर्षों से राशन कार्ड नहीं बन रहे हैं, तो शासन की बाकी योजना का लाभ तो दूर की कौड़ी दिखाई देती है। चुनाव के समय जनप्रतिनिधि मतदान के लिए मान मनोबल तो कर लेते हैं लेकिन उसके बाद इन्हें योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कोई ध्यान नही देता। नतीजा कोरोना की इस संकट भरी घड़ी में बमुश्किल ऐसे लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं।