कोरोना से जूझ रहे कवि बेचैन के ल‍िए कुमार विश्‍वास ने मांगा वेंटिलेटर, डॉ. महेश शर्मा ने की मदद

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जाने माने गीतकार और कवि कुंवर बेचैन दिल्‍ली के Cosmos Hospital में कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। कवि कुमार व‍िश्‍वास उनके  ल‍िए वेंटिलेटर बेड मांग रहे हैं। कुमार विश्‍वास ने ट्वीट कर कुंवर बेचैन के स्‍वास्‍थ्‍य की जानकारी दी है और मदद की गुहार लगाई है। कुंवर बेचैन की सेहत बहुत खराब है। कुमार विश्‍वास के ट्वीट के बाद सांसद गौतमबुद्धनगर डॉ. महेश शर्मा ने संज्ञान लिया। वह डॉ कुंवर बेचैन जी को अपने कैलाश हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर शिफ़्ट करा रहे हैं। उन्‍होंने खुद कुमार विश्‍वास से फोन पर बात भी की। 

दिग्‍गज कवि कुमार विश्‍वास ने ट्वीट किया- रात 12 बजे तक प्रयास करता रहा, सुबह से प्रत्येक परिचित डॉक्टर को कॉल कर चुका हूं। हिंदी के वरिष्ठ गीतकार गुरुप्रवर डॉ कुंवर बेचैन का Cosmos Hospital,आनंद विहार दिल्ली में कोविड उपचार चल रहा है। ऑक्सीजन लेवल सत्तर पहुंच गया है। तुरंत वेंटि‍लेटर की आवश्यकता है। कहीं कोई बेड ही नहीं मिल रहा। कुमार विश्‍वास ने यह ट्वीट तब किया, जब वह फोन पर परिचित डॉक्‍टर्स से मदद मांगकर थक गए।

कुमार विश्‍वास के ट्वीट के बाद लोग कुंवर बेचैन के जल्‍द ठीक होने की दुआ मांग रहे हैं, साथ ही मदद के ल‍िए सरकार के कुछ लोगों को टैग कर रहे हैं। वहीं कई यूजर्स ने व्‍यवस्‍था पर सवाल उठाते हुए कहा है- जब आप जैसे प्रख्यात व्यक्ति इतने परेशान हों संसाधन मिलने के लिए फिर तो हम जैसे आम लोगों को महादेव ही बचाए।

कुमार ने जताया आभार 

कुमार विश्‍वास ने ल‍िखा- बहुत आभार डॉ. महेश शर्मा जी। उनका स्वयं कॉल आया है और वे डॉ कुंअर जी को अपने हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर शिफ़्ट करा रहे हैं। ईश्वर से प्रार्थना करें कि पूज्य गुरुप्रवर स्वस्थ हों। कृपा करके आप सब भी अपना बहुत-बहुत ख़्याल रखें। स्थिति अनुमान से ज़्यादा ख़राब है। आप सब का भी आभार।

कौन हैं कुंवर बेचैन 

हिंदी गजल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। ‘बेचैन’ उनका तख़ल्लुस है असल में उनका नाम डॉ. कुंवर बहादुर सक्सेना है। वह गाज़ियाबाद के एम.एम.एच. महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे। वह आज के दौर के सबसे बड़े गीतकारों और शायरों में लिस्‍ट में शुमार हैं। ‘पिन बहुत सारे’, ‘भीतर साँकलः बाहर सांकल’, ‘उर्वशी हो तुम, झुलसो मत मोरपंख’, ‘एक दीप चौमुखी, नदी पसीने की’, ‘दिन दिवंगत हुए’, ‘ग़ज़ल-संग्रह: शामियाने कांच के’, ‘महावर इंतज़ारों का’, ‘रस्सियां पानी की’, ‘पत्थर की बांसुरी’, ‘दीवारों पर दस्तक ‘, ‘नाव बनता हुआ काग़ज़’, ‘आग पर कंदील’, जैसे उनके कई और गीत संग्रह हैं, ‘नदी तुम रुक क्यों गई’, ‘शब्दः एक लालटेन’, पांचाली (महाकाव्य) उनके कविता संग्रह हैं।

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