क्या राहुल गांधी के लिए विदेशी सरजमीं है नागपुर, सवाल इसलिए..

0

 देश के चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनावी माहौल है। सियासी फसल को काटने की कवायद में जुबानी तलवार काट छांट कर रही है। सभी दलों के नेता इस जुबानी जंग में पीछे नहीं हैं। अगर किसी तरह का बवाल हो जाए तो बयान से पलट जा रहे हैं। इन सबके बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने असम के तिनसुकिया में एक बार फिर बाहरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि असम को नागपुर से कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है,उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों की नजर आप की संपदा पर है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या नागपुर, भारत में नहीं है। 

नागपुर से असम पर कब्जे की चाहत
बीजेपी असम को नागपुर से चलाना चाहती है। वे चाहते हैं कि बाहरी लोग आपके हवाई अड्डे पर आए और आपका क्या लें। हम असम से ही असम को चलाना चाहते हैं। हमारे सीएम असम के लोगों की बात सुनने के बाद काम करेंगे और उनका नागपुर से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक सच्चाई है कि इस समय देश में दो लोग सिर्फ दो लोगों के लिए काम कर रहे हैं। उन लोगों को देश के आम लोगों से कोई मतलब नहीं है। 

मेक इन इंडिया नहीं मेक इन चाइना है जनाब
पीएम ‘मेक इन इंडिया’ की बात करते हैं, लेकिन अगर आप मोबाइल फोन, शर्ट की जांच करते हैं, तो आप मेड इन असम और भारत के बजाय उन पर ‘मेड इन चाइना’ पाएंगे। लेकिन हम मेड इन असम और भारत देखना चाहते हैं। यह भाजपा द्वारा नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे केवल उद्योगपतियों के लिए काम करते हैं।

बीजेपी के वादे का क्या हुआ
बीजेपी ने 351 रुपये का वादा किया, लेकिन असम के चाय श्रमिकों को 167 रुपये दिए। मैं नरेंद्र मोदी नहीं हूं, मैं झूठ नहीं बोलता। आज, हम आपको 5 गारंटी देते हैं; चाय श्रमिकों के लिए 365 रुपये, हम सीएए के खिलाफ खड़े होंगे, 5 लाख नौकरियां, 200 यूनिट मुफ्त बिजली और गृहिणियों के लिए 2000 रुपये। चाय उद्योग के लिए, हम आपके सभी मुद्दों को हल करने के लिए एक विशेष मंत्रालय शुरू करेंगे। हमारा घोषणापत्र चाय जनजाति के लोगों के साथ परामर्श में है, और बंद दरवाजों के पीछे नहीं बनाया गया है।

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपने इन बयानों के जरिए एक खास वर्ग को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने उसी एआईयूडीएफ से समझौता किया है जिसकी खिलाफत करते थे। लेकिन सियासी मजबूरी की वजह से कांग्रेस को झुकना पड़ा। कांग्रेस पार्टी की तरफ से यह भी बताया जा रहा है कि पिछले पांच वर्षों में असम की जनता के साथ क्या कुछ हुआ और अगर एक बार फिर सत्ता बीजेपी के हाथ में आती है तो आगे की राह मुश्किल होगी और उसके लिए नागपुर को वो बाहरी बता रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here