वारासिवनी (पद्मेश न्यूज)। पंचपर्व के समाप्त होते ही पारंपरिक त्यौहार मंडई मेलों के सिलसिले के रूप मे शुरू हो गये हैं। यह त्यौहार ग्रामीण अंचल मे खास तौर से प्रारंभ होते हैं। इस त्यौहार का प्रारंभ जाति वर्ग विशेष के लोग डार जगाकर करते हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों मेें 2 नवंबर को पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व के पांचवे दिन गाय खिलावन की रस्म अदा की गई। जिसके साथ ही मंडई मेलों का दौर प्रारंभ हो गया है।
अचानक जगाये जाते हैं गौ वंश
दीपावली के पंचपर्व के बाद गोवर्धन पूजा करने के बाद ग्वालों की टोली विधि विधान के साथ डार जगाती है। यह डार एक मोर पंख की होती है जो विशेष गमछे के सहारे ढाल के रूप मे बनाई जाती है। रात्रि के चौथे पहर के प्रारंभ मे ग्वाल अचानक गौवंश के सहन मे जाते हैं और एक विशेष प्रकार की आवाज देते हैं। इस आवाज से गौवंश अचानक उठ खड़ा होता है। गौवंश के अचानक उठ खड़े होने की इस विधि को ही डार जगाना कहा जाता है।
वारा मे गाय खिलावन की अदा की गई रस्म
ग्राम पंचायत वारा स्थिति खिल्या मुठ्या देव परिसर मे गाय खिलावन की रस्म अदा की गई। जिसमें सर्वप्रथम देव परिसर में विशेष पूजा अर्चना कर भगवान कृष्ण की आरती की गई। इस दौरान बड़ी संख्या मे लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई यहां पर गोवारी समाज के लोगों ने पहुंचकर गाय की पूजा अर्चना की और इसके बाद लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी। इसमें सामाजिक बंधुओ ने बताया कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी गाय खिलावन की रस्म अदा की गई है जिसमें पहले डार निकालकर ग्राम भ्रमण किया गया। जो खिल्या मुठ्यिा देव परिसर पहुंची जहां पर विधि-विधान से देव की पूजा अर्चना कर गाय को खिचड़ी खिलाकर भोग लगाया गया तत्पश्चात गाय की पूजा कर गोवर्धन पर गाय को चलाकर गाय खिलावन की रस्म अदा की गई। यह रश्म पूर्वजों से की जा रही है इंद्रदेव ने अतिवृष्टि की थी इस दौरान भगवान कृष्ण ने ग्रामीणों को बचाने के लिए भगवान गोवर्धन को उठाया था। उन्होंने गोवर्धन पूजा जो चालू की थी उसे हम हर वर्ष करते आ रहे हैं। इस अवसर पर जनप्रतिनिधि ग्रामीण सहित स्वजातीय बंधु उपस्थित रहे।
गोवारी समाज सेवा समिति ने की पूजा अर्चना
स्थानीय वार्ड नंबर १२ मे खिल्या मुठ्या देव मे नगर के गोवारी समाज सेवा समिति के लोगों ने पहुंचकर विधि विधान के साथ गाय खिलावन की रस्म पूरी की। यहां पर सुसज्जित डार को लेकर गोवारी समाज के लोग पहुंचे। गोबर के पुतले को गाय ने रौंदा और उसके बाद बच्चों को गोबर पर लिटाकर उसका तिलक किया गया। वही उपस्थित गणमान्य नागरिकों को गोवारी समाज के लोगों ने गोबर से तिलक किया। सैकड़ों की संख्या मे यहां पर लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी और आरती कर मंडई मेलों की शुरूआत की। नगरीय क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों मे मंडई मेलों का दौर होता है। प्रत्येक ग्राम की अपनी अपनी तिथि होती है जिसमे मंडई का आयोजन होता है। यह आयोजन ग्राम प्रमुख के हस्ते प्रारंभ होता है। इसमे ग्वालों की टोलियां समुद्र से उत्पन्न कौडिय़ों और मोर पंखों से श्रृंगार करते हैं और घर घर जाकर ग्वाल नृत्य करते हैं। मंडई और मेलों मे खास तौर से प्रमुख आकर्षण का केन्द्र यही ग्वाल नृत्य होता है। ग्रामीण अंचलों मे शुरू हुई मंडई और मेलों मे लोगों के मनोरंजन की परंपरा आज भी उसी रूप मे जीवित है। पुरातन समय मे ड्रामा और डंढार मनोरंजन के साधन हुआ करते थे इसमे एक आमूल परिवर्तन हो गया है यह परिवर्तन पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से हुआ है मध्यप्रदेश मे छत्तीसगढ़ी नाच अब परंपरा मे शामिल हो गया है जिसका लोग भारी संख्या मे आनंद उठाते है। सदस्यों ने बताया कि परंपरिक रूप से डार का भ्रमण करवाकर खिल्या मुठ्यिा देव की पूजा अर्चना कर परिसर में गोवर्धन का पुतला बनाकर गाय खिलाई गई। साथ ही यह भी बताया कि यह परंपरा पूर्वजों से उक्त स्थान पर चली आ रही है जिसका निर्वाहन किया जा रहा है। इस अवसर ग्वालवंशी सहित स्वजातीयबंधु व गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
सिकंद्रा में गौ पूजा का हुआ आयोजन
ग्राम पंचायत सिकंदरा में धार्मिक मान्यता अनुरूप गाय खिलाने की रश्म अदा की गई। इस दौरान ग्राम के पटेल टोला स्थित आखर मैदान में खिला मुठिया देव की विशेष पूजा अर्चना करने के उपरांत ग्राम का भ्रमण किया गया तत्पश्चात आखर मैदान में उपस्थित होकर गवरी समाज के सदस्यों के द्वारा भगवान गोवर्धन के पुतले के ऊपर गाय खिलाई गई। इसके बाद सभी ने भगवान गोवर्धन के गोबर का तिलक कर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्वजातीय बंधु सहित जनप्रतिनिधि व ग्रामीण जन मौजूद रहे।
पारंपरिक नृत्य पर झूमे ग्वालवंशी
गोवारी समाज के द्वारा क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर शुक्रवार को गाय खिलावन की रस्म खिल्या मुठ्यिा देव परिसर में अदा की गई। इस दौरान समाज के लोग पारंपरिक शायरी बोलकर बाजे पर जमकर नृत्य किया जो आकर्षण का केन्द्र बना रहा।