गंगा के सहारे : उमेश बागरेचा

0

बालाघाट (पद्मेश न्यूज) । प्रदेश कांग्रेस द्वारा गंगाप्रसाद तिवारी को बालाघाट जिले का प्रभारी नियुक्त किया गया है । श्री तिवारी वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस में उपाध्यक्ष है। राजनीति के जानकारों को यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की टीम के खासम-खास हैं, इसलिए वे 22 वर्षों तक छिंदवाड़ा जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहे । पेशे से वे वकील हैं तथा स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बालाघाट तथा यहां के राजनीतिज्ञों कार्यकर्ताओं से वे भली-भांति परिचित हैं । इसलिए अब ये उम्मीद की जानी चाहिए कि बालाघाट की सुप्त पड़ी कांग्रेस में कुछ तो ऊर्जा आयेगी। क्योंकि श्री तिवारी की नियुक्ति से ये तो समझ आ गया है कि अब बालाघाट में कांग्रेस के क्रियाकलापों पर कमलनाथ की विशेष नजर रहेगी। श्री तिवारी को बालाघाट का प्रभारी बनाए जाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी उत्साह परिलक्षित हो रहा है। गंगाप्रसाद तिवारी प्रभारी तो बनाए गए हैं लेकिन उनके लिए बालाघाट में कांग्रेस संगठन को चुस्त-दुरुस्त करना एक चुनौती ही होगा। वर्तमान में ब्लॉक स्तर से लेकर जिलास्तर पर संगठन नाम मात्र के लिए हैं, गतिविधियां शून्य है, हालांकि इसके लिए वर्तमान में बहाना हो सकता है कोरोना काल तथा लॉकडाउन का ! लेकिन ये भी सच है कि इस कोरोना काल में ही आम-जन के बीच गतिविधियां करने के अत्यधिक अवसर संगठन के पदाधिकारियों और विधायकों के पास थे, जो जमीन पर कहीं नजर नहीं आए । कोरोना काल में सत्तापक्ष तथा प्रशासन द्वारा बरती गई लापरवाही के चलते जिले में स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह ध्वस्त रही, आपदा में अवसर का खुला खेल चला। ऑक्सीजन, दवाओं, बेड की कमी से उभरी अव्यवस्था ने काफी परिवारों की खुशी छीन ली । ऐसे समय में संसाधनों का ऐसा बंदर बांट हुआ कि जहां जन के आशियाने लुट गए तो वहीं तंत्र ने आशियाने बना लिए। तंत्र तभी सही चल सकता है जब विपक्ष अपनी भूमिका का सही-सही निर्वाह करे, और यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर वही होता है जो बालाघाट में हुआ, सत्ता और प्रशासन के तालमेल ने दोनों हाथों से न केवल जनता को बल्कि शासन से मिलने वाली मदद को भी चोट पहुंचाया है । लेकिन इस पूरे काल में जिले के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के कर्ता-धर्ता मौन साधे कोरोना से डरे हुए अपने -अपने घरों में छिपे बैठे रहे । कोरोना तो खैर बहाना है, इसके पहले भी उन्होने अपनी विपक्ष की भूमिका के साथ न्याय नहीं किया है, और विपक्ष की भूमिका का निर्वहन कर भी कैसे सकते हैं, इनके भी तो सत्ता और प्रशासन से स्वार्थ जुड़े हैं, कुछ के तो व्यवसायिक गठजोड़ हैं, तो कुछ प्रशासन के अहसानों तले दबे हैं, तो कैसे जनता तथा जिले के हित के मुद्दे उठा पाएंगे। अजी जनता की बात तो छोडि़ए इस दौरान समय -समय पर प्रदेश कांग्रेस से प्राप्त हुए दिशा-निर्देशों की भी इन्होंने हवा निकाल दी है। बालाघाट में कांग्रेस की इस बेहाल हालत को बेहतर बनाने के लिए कमलनाथ के गृह जिले के वरिष्ठ नेता गंगा प्रसाद तिवारी को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी, उन्हें अपनी पारखी निगाहों से पार्टी समर्पित नेताओं को तलाशना और तराशना होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here