यदि आप भी गांगुलपारा जलाशय घूमने का मन बना रहे है तो खबर आपके लिए है।क्यो की मप्र शासन ने एक आदेश जारी कर जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर पर बसे गांगुलपारा जलाशय के वॉटरफॉल (झरना ) देखने के लिए आ रहे पर्यटकों के प्रवेश पर 30 सितंबर तक के लिए रोक लगा दी है। मध्य प्रदेश वन विभाग (वन्यजीव) ने आदेश जारी किया कि पर्यटक छुट्टियों के लिए इस क्षेत्र में न आएं।जहा नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाने की भी चेतावनी जारी की गई है। आपको बताए कि वन विभाग द्वारा जारी किया गया यह आदेश पर्यटकों के लिए मायूसी भरा आदेश है।जिसके चलते गांगुलपारा पहुचने वाले पर्यटकों को अब प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साथ झरने के भी दर्शन नही हो पा रहे है।बताया जा रहा है कि मॉनसून के दौरान पर्यटक भी बड़ी संख्या में इस प्राकृतिक क्षेत्र में घूमने और झरने का आनंद लेने आते हैं।ऐसे में कई बार यह हादसे हो जाते है।इसलिए 30 सितंबर तक इस क्षेत्र में प्रवेश पर वन विभाग द्वारा रोक लगाई गई है।
जानकारी के अभाव में प्रवेश द्वार से वापस लौट रहे पर्यटक
आपको बालाघाट जिले में मौजूद घने जंगलों के बीच प्राकृतिक झरनों का सुरम्य नजारा पचमढ़ी की वादियों की याद ताजा कराता हैं। जिला नैसर्गिक सौंदर्य से समृद्ध है। यहां की प्रकृति की गोद में ऐतिहासि धरोहरें ही नहीं प्राकृतिक झरने भी मौजूद हैं। जो जिले के पर्यटन को निखार रहे हैं। ऐसे ही झरनों में शामिल है। गांगुलपारा का झरना बारिश के दिनों में झरने का सुरम्य नजार देखने रोजाना पर्यटक पहुंचते हैं,झरने तक पहुंचने का रास्ता दुर्गम है, लेकिन झरनों का जलप्रवाह देखने लोग रोमांचित हो जाते हैं। इन्हें देखते ही लोगों की पूरे सफर की थकान मिट जाती है। यहां पर्यटकों को जितना संस्कृति लुभाती है,उतना ही यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी उन्हें आकर्षित करता है। एक बार फिर अब वर्षा ऋतू के प्रारम्भ होते ही यहाँ पर्यटक बड़ी संख्या में रोजाना ही इस झरने और प्राकृतिक सौंदर्य का लुफ्त उठाने पहुंच रहे है किन्तु शासन के नियम की जानकारी का पता नहीं होने के कारण उन्हें प्रवेश द्वार से ही मायूस होकर लौटना पड़ता है ! यहाँ पदस्थ वन कर्मचारी उन्हें नियमो का हवाला देकर वापस लौटा रहे है !
झरनों में तेज पानी से हो सकते हैं हादसे
बताया जा रहा है कि गांगुलपारा झरने में नहाने या फिर घूमने फिरने के लिए स्थानीय लोगों के साथ साथ छुट्टियों पर दूसरे राज्यों और जिलों से भी यहाँ पर्यटक आते हैं। वर्तमान में मानसूनी बारिश हो रही है इससे झरने के पानी का बहाव भी तेज है। वही झरने तक जाने के लिए उन्हें पानी से भरे गहरे नाले को पर करके जाना पड़ता है जिससे यहाँ वर्षाकाल में दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसके पूर्व ही दुर्घटनाओं को देखते हुए की वर्षा ऋतु के दौरान गांगुलपारा में पर्यटकों का प्रवेश निषेध किया गया है
वन्यप्राणियो का भी बना रहता है खतरा
विभागीय जानकारी के अनुसार टाइगर रिज़र्व से सटे घने जंगल होने के कारण यहाँ भी हिंसक प्राणियों की मौजूदगी बनी रहती है।वर्षा के मौसम में वन्य जंतुओं का प्रणयकाल होता है। इस दौरान वन्य जीव जंतु बहुत अधिक हिंसक हो जाते हैं। इस दौरान वे किसी भी तरह की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करते। वाहनों का आना-जाना और सैलानियों की उपस्थिति भी उनके प्रणय काल में बाधा बन सकती है।इससे वन्य जीवन का इकोसिस्टम प्रभावित हो सकता है। इसका सीधा असर वन्य प्राणियों की संख्या पर पड़ता है। यही कारण है कि पूरे वर्षा ऋतु में यहाँ आने जाने पर रोक लगा दी जाती है।