राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है। इसमें उन्हें गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले सभी मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच का आदेश दिया गया है। इसके अलावा सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग करने के भी आदेश हैं। आयोग ने एक महीने में इसकी रिपोर्ट मांगी है।
NCPCR के चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो की ओर से साइन किए गए पत्र में कहा गया है कि विभिन्न शिकायतों के मिलने के बाद यह नोट किया गया है कि गैर-मुस्लिम समुदाय के बच्चे गवर्नमेंट फंडेड/ मान्यता प्राप्त मदरसों में जा रहे हैं। मदरसों में मुख्य रूप से बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जाती है। ये तीन प्रकार के होते हैं- मान्यता प्राप्त मदरसे, गैर मान्यता प्राप्त मदरसे” और अनमैप्ड मदरसे।
आयोग के पत्र में कहा गया है कि हालांकि, यह भी पता चला है कि जिन मदरसों को सरकार की मान्यता प्राप्त हैं, वे बच्चों को धार्मिक और कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा दोनों प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा आयोग को यह भी पता चला है कि कुछ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारें उन्हें स्कॉलरशिप भी दे रही हैं।
यह भारत के संविधान के आर्टिकल 28 (3) का उल्लंघन है। इसके मुताबिक, कोई भी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बच्चों को माता-पिता की परमिशन के बिना किसी भी धार्मिक इवेंट में जबरन शामिल नहीं कर सकता है। पत्र में कहा गया है कि- भारत का संविधान बिना किसी भेदभाव के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए कहता है और सुनिश्चित करता है कि बच्चे औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए पड़ोस के स्कूलों में जाएं।
जांच रिपोर्ट में ये चीजें अनिवार्य
NCPCR के अनुसार, जांच में ऐसे मदरसों में जाने वाले बच्चों का फिजिकल वेरिफिकेशन शामिल होना चाहिए। जांच के बाद, ऐसे सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में प्रवेश दिया जाए। इसके अलावा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग की जाए। जांच की रिपोर्ट 8 दिसंबर, 2022 से 30 दिनों के अंदर आयोग के साथ शेयर की जाए।