केंद्र सरकार ने बिजली के संकट और थर्मल पावर प्लांट तक कोयला पहुंचाने के लिए देश भर में ढाई सैकड़ा से अधिक यात्री गाड़ियों को रद्द कर दिया। ऐसे में जिले के लोग जबलपुर तक सीधी लोकल ट्रेन की उम्मीद लगा रहे हैं जो पूरी तरह से मुंगेरीलाल के हसीन सपने की तरह दिखाई दे रही है।
दरअसल हम यहां इस तरह की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि देश में बिजली के संकट को देखते हुए बड़ी बड़ी लंबी दूरी की ट्रेन रद्द कर दी गई। ऐसे में बालाघाट-जबलपुर लोकल ट्रेन चलाने की बात तो और भी नहीं सोची जा सकती?
इसके पीछे बड़ी वजह यही है कि गोंदिया-बालाघाट-जबलपुर रेलवे ट्रैक माल गाड़ियों और कोयला ट्रेन के भारी ट्रैफिक का दबाव झेल रही है। मालगाड़ी-कोयला ट्रेन का संचालन पूरे 24 घंटे होते रहता है, ऐसे में जो एक्सप्रेस और लंबी दूरी की ट्रेन चल रही है उनका ही संचालन किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है तो फिर लोकल ट्रेन संचालन की बात सोचना हुई ना मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसी बात?
रेलवे के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बालाघाट से रोजाना डेढ़ दर्जन माल गाड़ियां जबलपुर और गोंदिया की ओर जाती है जिसमें से 3 गाड़ी बालाघाट जबलपुर सिवनी के बीच स्थित बीनेकी रेलवे स्टेशन झाबुआ पावर प्लांट के लिए जा रही है। शायद आगामी दिनों में कोयला ट्रेनों की संख्या और अधिक बढ़ जाए।
दरअसल इन माल गाड़ियों के आने जाने का कोई समय निश्चित नहीं है। जब भी खाली ट्रेक मिल जाए मालगाड़ी अपने गंतव्य स्थान के लिए दौड़ पड़ती है, यही हाल कोयला ट्रेन का भी है। इसीलिए रेलवे अधिक से अधिक समय तक इस ट्रक को खाली रखा जाता है। इसके पीछे बड़ी वजह यह भी है कि माल गाड़ियों से रेलवे को बहुत अधिक कमाई हो रही है जो लोकल ट्रेन से नहीं हो पाएगी। उस पर कोयले का बहाना अब तो मानो जैसे राष्ट्रीय मुद्दा बन गया हो।