अमेरिका की शायने क्लुप ने 2009 में शादी की थी। तब वह 20 साल की थीं। कुछ महीने बाद वह गर्भवती हो गईं। पर जल्द ही ये उत्साह खत्म हो गया, जैसे ही पता चला कि पति जेल की सजा का सामना कर रहा है। इसलिए न चाहते हुए भी वह आने वाले बच्चे को गोद देने के लिए राजी हो गई। दंपती ने खोजबीन शुरू की तो एडॉप्शन नेटवर्क लॉ सेंटर(एएनएलसी) का पता चला।
2010 में उन्होंने कागजी कार्यवाही की। जिसमें यह विकल्प भी था कि वो गोद देने के लिए मना कर सकती है।(अमेरिका में गर्भवती मां को बच्चे के जन्म से पहले फैसला बदलने का अधिकार है)। जब क्लुप ने इस बारे में काउंसलर से बात की, तो उसने कहा कि अब पीछे हटेंगे तो गोद लेने वाले दंपती ने जो हजारों डॉलर खर्च किए हैं, उन्हें लौटाना पड़ेगा ग्रैसी हेलेक्स 2017 और 2018 में दो बच्चों के लिए एएनएलसी से जुड़ीं, उन्हें भी धमकाया गया।
ये महिलाएं इस कदर डर गईं कि इन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा ही नहीं की। क्योंकि अमेरिका में गोद लेने की प्रक्रिया निजी है और इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। इसके चलते शिशु की खरीद-बिक्री का कारोबार खड़ा हो गया है। अमेरिका के नेशनल एडॉप्शन काउंसिल के मुताबिक हर साल देश में 13 हजार से 18 हजार एडॉप्शन होते हैं। इसमें से एक हजार से ज्यादा निजी क्षेत्र के जरिए होते हैं। गोद लेने वाले दंपति से 20 लाख रुपए वसूले जाते हैं।
इसमें प्रक्रिया खर्च, गर्भवती मां और उसके परिवार पर खर्च शामिल नहीं है। एजेंसी से जुड़े कर्मचारी के मुताबिक दोगुना वसूली होती है। कैलिफोर्निया में एडॉप्शन का काम देखने वालीं वकील सेलेस्टे लीवरसीज के मुताबिक शिशुओं की कमी और हताश दत्तक माता-पिता की भावनाओं ने बिचौलियों को ताकतवर बना दिया है। एजेंसियां, वकील, सलाहकार और सुविधा प्रदाता हजारों डॉलर वसूलते हैं। सख्त सजा न होेने से ये अवैध कारोबार खूब फल-फूल रहा है। 2019 में बच्चों की इस खरीद-बिक्री को रोकने के लिए प्रस्ताव लाया गया था पर कांग्रेस इसे पास कराने में विफल रही।
दोगुनी कमाई के फेर में दत्तक दंपतियों को गलत जानकारी दी जाती है
एजेंसियों की धांधली इसलिए भी बढ़ गई है कि पकड़े जाने पर उन्हें कम से कम दंड ही मिलता है। जैसे फ्लोरिडा के डोरेन-केविन क्रिसलर दंपती ने एजेंसी से करार किया। बच्चा लेने का वक्त आया तो एजेंसी ने कहा कि बच्चा विकृतियों के साथ पैदा हुआ है। दंपती ने गोद लेने का फैसला टाल दिया। बाद में पता चला कि बच्चा स्वस्थ था, ज्यादा पैसे कमाने के लिए उसे किसी और दंपति को दे दिया गया। मामला मीडिया में उछला तो एजेंसी पर कार्रवाई हुई। पर कुछ समय बाद उसे फिर से लाइसेंस दे दिया गया।