लांजी के सात वर्ष से अधिक पुराने गौवंश तस्करी के एक मामले में लांजी के माननीय न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी की न्यायालय ने आरोपी अशोक, गोल्डी उर्फ शैलेन्द्र, मिन्नत, मोहसीन, तौशिफ खान, मोहम्मद असलम निवासी लांजी एवं अब्दुल मतीन, असदउल्ला एवं अब्दुल मतीन निवासी नागपुर को गौवंश की तस्करी के अपराध का दोषी पाते हुए मप्र गौवंश वध प्रतिषेद्य अधिनियम 2004 की धारा 4 सहपठित धारा 9(1) के तहत प्रत्येक को 2-2 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000-5000 रूपये अर्थदंड, मप्र गौवंश वध प्रतिषेद्य अधिनियम 2004 की धारा 6 सहपठित धारा 9(2) के तहत प्रत्येक को 2-2 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000-5000 -रूपये अर्थदण्ड,पशु क्रुरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 क एवं घ के तहत 50 रूपयेे अर्थदण्ड, इसके अलावा आरोपी असदउल्ला एवं अब्दुल मतीन को आयुध अधिनियम 1959 की धारा 25(1)बी के तहत 2-2 वर्ष का अतिरिक्त सश्रम कारावास व 100-100 रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किये।
प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सुजीत मरठेश्वर ने जानकारी देते हुए बताया कि 29 मार्च 2014 को तत्कालीन थाना प्रभारी लोकेश मार्को को मुखबीर से सूचना मिली थी कि लांजी निवासी असलम, गोल्डी उर्फ शैलेन्द्र, मिन्नत, तौसिफ खान, अशोक लिल्हारे मोहसीन आदि द्वारा ग्राम सर्रा में अवैध रूप से ट्रक क्रमांक-सीजी-04, जे.ए.5586 में गौवंश को कत्लखाने ले जा रहे है। मुखबिर की इस सूचना पर पुलिस द्वारा घेराबंदी कर सर्रा नदी के पास ट्रक को रोकने पर अभियुक्त असलम, मोहसीन, गोल्डी उर्फ शैलेन्द्र, मिन्नत, अशोक व तौसिफ वाहन छोड़कर भाग गये तथा तलाशी लेने पर ट्रक के अंदर 33 छोटे बड़े मवेशी ठूस-ठूसकर भरे होना पाया गया। जिसके संबंध में नागपुर निवासी ट्रक में ड्राईवर व उसके सहयोगी सलीम, असदउल्ला, अब्दुल मतीन सभी नागपुर निवासी से पुछताछ करने पर कोई दस्तावेज नही पाये गये तथा उक्त गौवंश को नागपुर कत्लखाने ले जाना बताया। उक्त अभियुक्तगणों से ट्रक के साथ धारदार हथियार एवं गौवंश आदि को जप्त कर प्रकरण को विवेचना में लिये जाने पर सभी अभियुक्तगणों के विरूद्ध साक्ष्य पाये जाने पर उनके विरुद्ध अपराध दर्ज कर उन्हें इस अपराध में गिरफ्तार कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। माननीय न्यायालय में चले इस मामले में अभियोजन पक्ष सभी आरोपियों के विरुद्ध आरोपित अपराध सिद्ध करने में सफल रहा। जिसके परिणाम स्वरूप विद्वान न्यायालय ने मामले की समस्त परिस्थितियों को देखते हुए एवं अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्को से सहमत होकर सभी आरोपियों को आरोपित अपराध में दोषी पाते हुए उन्हें उपरोक्त सजा से दंडित किये।