पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह का संघ व भाजपा के खिलाफ गलत बयान देना मुश्किल बढ़ा सकता है। विशेष सत्र न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें दिग्विजय सिंह को बयान देने में दोषी नहीं माना था। विशेष सत्र न्यायालय ने आदेश दिया है कि विचारण न्यायालय पुन: इस मामले की सुनवाई करें। परिवादी व उनके अधिवक्ता ने जो तर्क दिए हैं, उनका विश्लेषण कर पुन: आदेश पारित करें। परिवादी को 30 मई को अपने अधिवक्ता के साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां उपस्थित होना होगा। यदि परिवादी साक्ष्यों के आधार पर मामला साबित करने में कामयाब होते हैं तो दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज हो सकता है
अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने विशेष सत्र न्यायालय में न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि 31 अगस्त 2019 को दिग्विजय सिंह ने भिंड के एक राजनीतिक कार्यक्रम में एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि एक बात मत भूलिये, जितने भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पाए गए हैं, वह भाजपा, आरएसएस व बजरंग दल से पैसे ले रहे हैं। एक बात और बताता हूं कि पाकिस्तान के आइएसआइ के लिए जासूसी मुसलमान कम कर रहे हैं, उससे ज्यादा गैर मुसलमान ज्यादा कर रहे हैं। अधिवक्ता अवधेश सिंह भदाैरिया भाजपा के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। याचिका में बताया गया है कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के इस बयान से लोग पाकिस्तान की मदद करने वाले देशद्रोही के रूप में देखने लगे हैं। इससे परिवादी की मानहानि हुई है। दिग्विजय सिंह की ओर से तर्क दिया गया कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच में यह बात कही है। इससे किसी की मानहानि नहीं हुई है। भदौरिया ने तर्क दिया कि विचारण न्यायालय ने तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया। आवेदन को खारिज कर दिया। इससे व्यथित होकर अपील दायर की है। विशेष कोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया संगठन की मानहानि करने के पर्याप्त साक्ष्य दिख रहे हैं, इसलिए 11 जनवरी 2020 को न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जो आदेश दिया था, उसे निरस्त किया जाता है। फिर से इस केस की सुनवाई करें। तथ्यों का अवलोकन कर फिर से आदेश पारित करें।
जानें क्या है मामलाः भारतीय जनता पार्टी महानगर ग्वालियर में विशेष आमंत्रित सदस्य अधिवक्ता अवधेश सिंह भदाैरिया ने 3 सितंबर 2019 को न्यायिक मजिस्ट्रेट ग्वालियर के न्यायालय में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के विरुद्ध मानहानि का एक मामला प्रस्तुत किया। उन्होंने तर्क दिया कि वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य होने के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी महानगर ग्वालियर की कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। जबकि प्रस्तावित अभियुक्त मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री होकर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं तथा वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं। आरएसएस तथा भाजपा का कार्यकर्ता होने के नाते समाज में उनका बहुत ही मान सम्मान तथा प्रतिष्ठा है, क्योंकि आरएसएस एक गैर राजनीतिक महान राष्ट्रवादी संगठन है। जबकि भाजपा विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है। प्रार्थी के साथ-साथ आरएसएस और भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ता स्वयं को आरएसएस तथा भाजपा से जुड़े होने से गौरवान्वित महसूस करते हैं। दोनों संगठनों की राष्ट्रवाद, कर्तव्य निष्ठा तथा राष्ट्रप्रेम की भावना के चलते समाज तथा विश्व के लोग उक्त संगठन के कार्यकर्ताओं तथा सदस्यों को बहुत ही मान सम्मान एवं प्रतिष्ठा की भावना से से देखते हैं।