बहन-भाई के पवित्र रिश्तों का त्यौहार रक्षाबंधन गुरूवार को समूचे कटंगी प्रखंड में बेहद धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया. इस त्यौहार को लेकर बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिला सभी घरों में सुबह-सवेरे से ही बच्चे नए-नए वस्त्र धारण कर त्यौहार की खुशी में झूमते दिखाई दिए. रक्षाबंधन पर्व के मौके पर पंरपरा अनुसार बहनों ने भाईयों की कलाई में रक्षा सुत बांधकर जन्म-जन्म तक सुख-दु:ख में साथ निभाने का वचन भाईयों से लिया. वहीं भाईयों ने भी बहनों को उपहार देकर हमेशा साथ निभाने का वादा किया. रक्षाबंधन के दिन दोपहर में अधिकांश बहनों ने भाई की कलाई पर राखी सजाई और उपहार पाकर अपनों के साथ खुशियां मनाई सुबह से शुरू हुआ रक्षाबंधन का त्यौहार रात तक चलता रहा. रक्षाबंधन पर्व की शुरूआत आज घरों में ईश्वर पूजन के साथ ही शुरू हुई थी. हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों के द्वारा ईश्वर को देव राखी कर भेंट की गई. जिसके बाद घर में बहन ने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधा।
सेवा केन्द्र की बहनों ने भाईयों को बांधी राखी
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय सेवा केंद्र कटंगी में भी रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया. इस पावन अवसर पर ब्रह्मकुमारी उषा बहन ने क्षेत्रीय विधायक टामलाल सहारे सहित प्रशासनिक विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को रक्षासूत्र बांधा. उषा बहन ने रक्षाबंधन के आध्यात्मिक महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह महान पर्व हमें हमारे वास्तविक पवित्र आत्मिक स्वरूप की स्मृति दिलाता है. इस स्मृति के आधार से हमारे जीवन में विकारों रूपी अशुद्धि समाप्त होती जाती है और हमारा जीवन प्रेम, शान्ति, खुशी, आनंद और शक्तियों से भरपूर होता जाता है. स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा आकर हमें हमारे सत्य धर्म पवित्रता का कवच पहनाकर हमें सच्ची सुरक्षा का अनुभव कराते हैं और यह रक्षा कवच हमें आने वाले अनेक जन्म-जन्मांतर के लिए हर प्रकार से सुरक्षित कर देता है. यह रक्षा सूत्र मन, वचन कर्म की पवित्रता तथा प्रतिज्ञा का सूचक है. उन्होंने कहा कि रक्षाबन्धन का अर्थ ही होता है रक्षा के लिए बन्धन हालांकि बंधन किसी को भी प्रिय नहीं होता है. परन्तु यहां इसका अर्थ यही है कि अपनी उन आसूरी प्रवृत्तियों से रक्षा के लिए मर्यादाओं के बन्धन में बंधना जिसके कारण हमें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वास्तव में यह बन्धन नहीं बल्कि स्वतंत्रता है. मनुष्यात्माओं को आसुरी शक्तियों से रक्षा करने तथा दैवी शक्तियों के आह्वान करना ही इस रक्षाबंधन का उद्देश्य है. इसका महत्व भूलने के कारण ही आज भाई-बहन के रिश्तों पर भी अंगुली उठने लगी है. उन्होंने कहा कि यह समय परिवर्तन का समय है. आसुरी दुनियां समाप्त होकर दैवी दुनियां के आगमन का है. इसलिए हम परमात्मा द्वारा दिये जा रहे पवित्रता के इस प्यारे बंधन को समझकर अपने जीवन में उतारते हुए इसकी एक ऐसे समाज की स्थापना में मददगार बने जहाँ सिर्फ पवित्र रिश्तों का साम्राज्य हो. इस दृष्टिकोण से रक्षाबंधन का पर्व मनाने की आश्यकता है तभी इसकी सार्थकता है।