चंद्रयान-2 के वैज्ञानिक डॉ सौरभ पटले पहुंचे बालाघाट

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चंद्रयान 3 के चंद्रमा पहुंचने के बाद केवल भारत देश ही नहीं तमाम मुल्कों में चंद्रयान-3 की चर्चा जोरों पर है जहां हर कोई इसरो वैज्ञानिकों कि इस उपलब्धि के लिए हर्ष व्यक्त कर रहे हैं तो वहीं इसरो के वैज्ञानिकों अब स्कूलो एवं कॉलेज के प्रबंधक इसरो के वैज्ञानिकों को आमंत्रित कर कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को इसरो के वैज्ञानिक डॉक्टर सौरभ पटले पीजी कॉलेज पहुंचकर विद्यार्थियों से न सिर्फ मुलाकात की बल्कि इसरो के वैज्ञानिकों की उपलब्धि पर भी प्रकाश डाला। तो वहीं उन्होंने इसरो में पहुंचने के लिए युवाओं को मार्गदर्शन भी दिया। इस दौरान उन्होंने इसरो में प्रवेश चंद्रयान-2 और 3 वैज्ञानिकों के कार्य सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा करते हुए इसरो में युवाओं को के भविष्य के बारे में बताया जिसमें उन्होंने वर्तमान समय में इसरो द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी और आगामी समय में इसरो द्वारा तैयार किए गए अन्य प्रोजेक्ट पर भी चर्चा करते हुए आगामी समय में होने वाले आविष्कार के बारे में बताया। पद्मेश न्यूज़ से चर्चा करने के दौरान इसरो वैज्ञानिक डॉक्टर सौरभ पटले ने बताया कि बालाघाट 12वीं तक की पढ़ाई की उसके बाद आईआईटी में मेरा सिलेक्शन हो गया इस दौरान इसरो में भी मेरा सिलेक्शन हुआ त्रिवेंद्रम में जिसमें मेरे द्वारा 10 साल सदस्य रहा वैज्ञानिक के पद पर और लॉन्च व्हीकल फील्ड में मेरा योगदान रहा जिसमें चंद्रयान लॉन्च हुआ इन सबके डेवलपमेंट में और डिजाइन में मेरी भागीदारी रही। उन्होंने आगे यह भी बताया कि इसरो में जाने के लिए मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन इनका बहुत ही ज्यादा उसे उपयोग होता है। इसरो के फील्ड में दो ही पहलू मेन है लॉन्चवेकिल और सैटेलाइट। मैकेनिकल वाले बीटेक करने के बाद आईसीआरबी एग्जाम होती है। इसरो में एमएससी और पीएचडी वाले भी डायरेक्ट सिलेक्शन होता है इसरो में इंटरव्यू दे सकते हैं। इसरो में जाने के लिए छात्र बहुत ही उत्सुक है मंगलयान लांच होने के बाद और चंद्रयान में बहुत ज्यादा विद्यार्थियों की उत्सुकता बड़ी है। 2015 में मंगलयान हुआ था उसके बाद से ही बालाघाट ही नहीं पूरे भारत भी। जिस जगह इसरो के केंद्र है पहले वहां के लोगों को ही इसरो में जाने की रुचि होती थी उन लोगों को पता होता था कि मेरे जिला और मेरे क्षेत्र में इसरो के केंद्र है जब से मंगलयान हुआ है तब से लोगों में काफी जागरूकता आई है और इसरो के बारे में पता चला है और चंद्रयान-3 में तो रिकॉर्ड बन गया। उन्होंने यह भी बताया कि पहले इस पेज के बारे में किसी को मालूम नहीं था लेकिन इन चार सालों में लोगों में बहुत ज्यादा अंतरिक्ष के लिए जागरुक हुए। बालाघाट जिले में 4 से 5 वैज्ञानिक इसरो के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने चंद्रयान-2 को लेकर कहा कि असफलता के जरिया ही सफलता मिली है चंद्रयान-3 में जो असफल होता है वहीं से सीख मिलती है उसे समय हम लोगों ने अपनी गलती सुधारी।

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