चीन की गोद में बैठकर चांद पर जाएगा पाकिस्तान, 2035 तक रोवर पहुंचाने की तैयारी, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा में नया गठजोड़

0

बीजिंग/इस्लामाबाद: पाकिस्तान का अंतरिक्ष कार्यक्रम भारत के मुकाबले कम से कम 10 साल पहले शुरू हुआ था। लेकिन पाकिस्तान, स्पेस प्रोग्राम में भारत से 25 साल पिछड़ा हुआ है। पाकिस्तान ने अब घोषणा की है कि वो चीन की मदद से अपने रोवर को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी कर रहा है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के योजना, विकास और विशेष पहल मंत्री अहसान इकबाल ने कहा कि भारत से लगभग एक दशक पहले अपना अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम शुरू करने के बावजूद, पाकिस्तान 2035 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने की तैयारी कर रहा है। अहसान इकबाल ने बीजिंग में चीनी अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा अधिकारियों से मुलाकात के दौरान यह बात कही है। जियो के मुताबिक इस मिशन की जिम्मेदारी पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी SUPARCO को दी गई है, जिसने अभी तक अपने दम पर एक भी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में नहीं भेजा है। SUPARCO ने सारे सैटेलाइट को चीन से चीनी स्पेस एजेंसी की मदद से लॉन्च किया है।

पाकिस्तानी मंत्री ने प्लान के बारे में बताते हुए कहा है कि इस योजना के तहत पाकिस्तान, 2028 में चीन के Chang-8 मिशन के साथ मिलकर एक 35 किलोग्राम का लूनर रोवर भेजेगा, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा और स्टडी करेगा। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब देश वर्तमान में आतंकवादी हमलों, बुनियादी ढांचे और आर्थिक अस्थिरता में वृद्धि से जूझ रहा है। पाकिस्तानी मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान का अंतरिक्ष प्रोग्राम काफी ज्यादा पीछे है और वो इस पिछड़ेपन को भरने के लिए चीन के साथ तेजी से समझौते कर रहे हैं।

पाकिस्तान और चीन में स्पेस सेक्टर पर बड़ा समझौता
वहीं चीन ने पाकिस्तान को स्पेस सेक्टर में पूरी तरह से मदद देने की बात कही है। पाकिस्तानी मंत्री के साथ होने वाली बैठक में परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग को व्यापक राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के साथ जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अहसान इकबाल ने कहा कि परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में पाकिस्तान और चीन के बीच सहयोग लगातार बढ़ रहा है और K-2, K-3 और C-5 परमाणु ऊर्जा संयंत्र इसके प्रमाण हैं। पाकिस्तान जहां अपने दम पर एक भी सैटेलाइट अंतरिक्ष में नहीं भेज पाया है, वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने पड़ोसी देश की तुलना में काफी तरक्की की है। इसरो को अपने चंद्र मिशन, चंद्रयान और मंगल मिशन, मंगलयान में अपने बदौलत शानदार सफलताएं मिली हैं। भारत अब अंतरिक्ष में अपने पहले मानवयुक्त मिशन, गगनयान की तरफ तेजी से बढ़ रहा है, जो 2027 की शुरुआत की पहली तिमाही में निर्धारित है।

जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्री अहसान इकबाल ने “उड़ान पाकिस्तान” पहल का प्रचार करते हुए दावा किया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश के स्थिर पड़े अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में नई जान फूंक दी है। उन्होंने बताया कि हाल ही में तीन पाकिस्तानी निर्मित उपग्रह प्रक्षेपित किए गए। हालांकि ये तीनों सैटेलाइट चीन की मदद से भेजे गये हैं लेकिन अब पाकिस्तान, 2026 तक अपना पहला अंतरिक्ष यात्री भेजने के लिए फिर से चीन के अंतरिक्ष स्टेशन का सहारा लेने की उम्मीद कर रहा है, हालांकि पाकिस्तान के पास ऐसा अकेले करने की क्षमता नहीं है। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान के लिए ऐसा करना मामुमकिन है। SUPARCO का वार्षिक बजट सिर्फ 36 मिलियन डॉलर है, जो भारत की ISRO की तुलना में अत्यंत मामूली है। इसके अलावा, पिछले एक दशक से यह एजेंसी रिटायर्ड सैन्य जनरलों के नेतृत्व में चल रही है, जिससे इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर भी सवाल उठते रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here