चीन की चतुराई पर नकेल..पाकिस्तान की हरकतों पर लगाम..नौसेना में जल्द शामिल हो सकती हैं 9 आधुनिक पनडुब्बियां

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नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के बेड़े में जल्द ही और 9 अत्याधुनिक पनडुब्बियां शामिल हो सकती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए सिर्फ कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मंजूरी का इंतजार है। रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ये पनडुब्बियां प्रोजेक्ट 75(भारत) या पी75(आई) का हिस्सा होंगी। इनमें से 6 पनडुब्बियां पहले बैच में शामिल हो सकती हैं, जबकि बाकी तीन 2020 के डिफेंस एक्विजिशन प्रोसिड्योर (DAP) की गाइडलाइंस के अनुसार मुख्य करार पर हस्ताक्षर के एक साल बाद शामिल हो सकेंगी।

चीन और पाकिस्तान से निपटने की तैयारी

बिजनेस स्टैंडर्ड ने सरकारी सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। इसके अनुसार पहले 6 अत्याधुनिक पनडुबियों पर 90,000 करोड़ रुपये से लेकर 1 लाख करोड़ रुपये तक की लागत आएगी। भारत की ओर से इस तरह की तैयारी की खबर तब आई है,जब चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी नेवी (PLAN) हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में जुटी हुई है, वहीं अरब सागर में पाकिस्तान भी लगातार पैंतरेबाजी दिखाने में लगा हुआ है। सूत्र ने बताया है, ‘इसकी यथाशीघ्र आवश्यकता है, खासकर के हिंद महासागर के क्षेत्र में, क्योंकि जिस तरह से चीनी नौसेना की मौजूदगी बढ़ रही है और पाकिस्तान भी और पनडुब्बियां खरीद रहा है।’

अभी बातचीत के दौर में ही है यह महंगी डील

सूत्र ने बताया कि अगर इस साल के अंत तक इस डील को लेकर वित्तीय चर्चा पूरी हो जाती है, तो अगले साल की पहली तिमाही में यह सौदा फाइनल हो सकता है। उसके अनुसार, ‘जैसा कि पी75(आई) पूरी तरह से नया प्रोजेक्ट है, बातचीत में एक साल तक लग सकते हैं। तब सीसीएस के सामने प्रस्ताव को मंजूरी के लिए रखा जाएगा…इसके बाद करार पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।’

पनडुब्बी में पानी के अंदर देर तक रहने की क्षमता

इस प्रोजेक्ट के महंगा होने की कई वजहें हैं। इसकी डिजाइन, डिजाइन की जानकारी ट्रांसफर, इसके महत्वपूर्ण उपकरणों को स्थानीय स्तर पर तैयार करने के साथ-साथ कोविड महामारी की वजह से भारत और यूरोप में महंगाई के चलते इसकी लागत में बढ़ोतरी हुई है। इन पनडुब्बियों में एयर इंडिपेंडेंट प्रपल्शन (AIP) तकनीक भी शामिल होगी, जो इन्हें अत्याधुनिक बनाने में मदद करती हैं। इस तकनीक की सहायता से ये पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी के भीतर रहकर दुश्मनों को चकमा देने में सक्षम होंगी।

फ्रांस से जर्मनी की ओर शिफ्ट हो सकता है प्रोग्राम

इस साल जनवरी में इसके ठेके के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (भारत) और थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (जर्मनी) की संयुक्त बोली एकमात्र योग्य दावेदार के रूप में उभरी थी। यह तब हुआ जब लार्सन एंड टुब्रो और स्पेन की नवांतिया तकनीकी मूल्यांकन में असफल रहीं। अगर फाइनल मंजूरी मिल जाती है तो भारत की पनडुब्बी सहभागिता फ्रांस (स्कॉर्पीन प्रोग्राम) से जर्मनी की ओर शिफ्ट हो सकती है।

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