2020 की शुरुआत में जब चीन के वुहान में कोरोना वायरस फैलने की खबरें आईं तो किसी ने कल्पना नहीं की थी यह पूरी दुनिया को झकझोर कर रख देगा। वायरस ने शुरुआत में वूहान में जमकर तांडव मचाया। फिर धीरे-धीरे भारत, ब्राजील, ब्रिटेन व अमेरिका सहित कई देशों में फैल गया और अब तक लाखों लोगों की जान ले चुका है। उसी वुहान को आज देखकर लगता नहीं कि कभी यहां लोग महीनों तक अपने घरों में कैद रहे होंगे। करीब 1 करोड़ 10 लाख की आबादी वाला यह महानगर अब पूरी तरह से पहले की स्थिति में आ चुका है।
वायरस का केंद्र रहे वुहान में लंबे समय से कोई नया मामला सामने नहीं आया है। टीकाकरण में यहां बहुत तेजी देखी गई है। चीन में अब तक 80 करोड़ डोज वैक्सीन लगाई जा चुकी हैं और 2021 के अंत तक 80 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है। देश मे अब कोरोना संक्रमण के कुल मिलाकर 300 मामले भी नहीं हैं, जिनमें स्थानीय मामलों की संख्या दर्जन भर होगी।
वायरस लीक होने संबंधी आरोपों से घिरी वायरोलॉजी लैब व सीफूड मार्केट प्रमुख रूप से शामिल हैं। लैब वुहान शहर के केंद्र से दूर है। वहां पहुंचने में लगभग डेढ़ घंटे लगते हैं। अंदर सख्त पहरे में लैब का नियमित कामकाज जारी है। जबकि हुआनान सीफूड मार्केट, जहां शुरुआत में कोरोना वायरस का व्यापक असर देखा गया, वह पिछले साल ही सील कर दिया गया था।
हालांकि उसी से सटा फ्रूट मार्केट खुला हुआ है। वुहान के मुख्य बाजारों में भी चहल-पहल है। लोग आराम से घूम रहे हैं। एशिया की सबसे लंबी यांग्त्ज़ी नदी में क्रूज भी बेरोकटोक चल रहे हैं। बस, मेट्रो व ट्रेन में यात्रियों की भीड़ है। कुछ लोग बिना मॉस्क के घूम रहे हैं।
वैसे पिछले साल फरवरी का महीना था, जब वुहान में वायरस के खिलाफ युद्ध स्तर पर संघर्ष चला। चीन सरकार ने पूरे देश की ताकत हूबेई में संक्रमितों का इलाज करने व महामारी को काबू में करने में लगा दी। तब महीनों तक नागरिकों को अपने घरों में ही रहना पड़ा। वह 75 दिन उनके जीवन के सबसे मुश्किल दिन थे।
इसके बाद भी इधर-उधर जाने में ग्रीन कोड, तापमान मापने व मॉस्क पहनने आदि नियमों का पूरी तरह से पालन करना होता था। इसी दौरान वुहान में रहने वाले हर व्यक्ति का कोरोना टेस्ट किया गया। उन्हें तब तक अलग रखा गया, जब तक कि दो-तीन बार में रिपोर्ट निगेटिव नहीं आई।
पहले डर रहे थे भारतीय, अब संक्रमण से निपटने की रणनीति के मुरीद
वुहान में काम करने वाले भारत के योग शिक्षक नरेश कोठारी व आशीष रावत, बिजनेसमैन गोविंदा खत्री से हमने बात की। महामारी के खिलाफ वुहान व चीन को सफलता मिलने की वजह वे सख्त लॉकडाउन व लोगों में अनुशासन को मानते हैं। पिछले साल वे भी अरसे तक घरों में ही रहे। घर पर ही खाने-पीने की सभी चीज़ें पहुंचा दी जाती थी।
आशीष रावत कहते हैं कि उन्होंने भी वापस जाने का मन बना लिया था, लेकिन भारत में उनके किसी दोस्त ने वुहान न छोड़ने की सलाह दी। हालांकि कई बार उन्हें डर भी लगा, क्योंकि उस समय ऐसा माहौल बन गया था कि वुहान में रहना जानलेवा हो सकता है।










































