China AI Robots Join PhD: रोबोटिक्स और AI की दुनिया में चीन तेजी से प्रगति कर रहा है। हाल ही में चीन के एक ह्यूमनॉइड रोबोट ने कार का दरवाजा खोलने जैसा कारनामा कर दिखाया था। इस बार चीन के एक AI रोबोट को चार साल के डॉक्टरेट (PhD) प्रोग्राम के लिए चुना गया है। यह पहली बार हुआ है, जब दुनिया में किसी रोबोट को PhD करवाई जा रही है। इस पर लोगों की मिली-जुली राय सामने आई है। कुछ का तो ये भी मानना है कि फ्यूचर में रोबोट्स स्टूडेंट्स को भी रिप्लेस कर देंगे।
PhD करेगा का चीन का AI रोबोट
दरअसल, चीन के जिस AI रोबोट को PhD प्रोग्राम के लिए चुना गया है, उसका नाम ‘Xueba 01’ (जुएबा 01) है। जुएबा को वर्ल्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉक्टरेट करने के लिए चुना गया। यह अगले चार साल के लिए शंघाई थिएटर एकेडमी में PhD करेगा। रोबोट को तैयार करने में शंघाई यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और ड्रॉइडअप रोबोटिक्स की भूमिका है। जुएबा चीनी ओपेरा पर रिसर्च करेगा। इस रोबोट को एक वर्चुअल स्टूडेंट ID भी मिली है। PhD में जुएबा के मेंटर नामी कलाकार और प्रोफेसर यांग किंगकिंग होंगे।
सिलिकॉन से बनी स्किन, इंसानों जैसे भाव
ज़ुएबा एक ह्यूमनॉइड रोबोट है, यह दिखने में एक आदमी जैसा ही लगता है। इसकी स्किन सिलिकॉन से बनी है, इसके चेहरे के भाव भी इंसानों जैसे ही हैं। रोबोट की लंबाई करीब 1.75 है, जबकि वजन 30 किलो के आसपास है। यह रोबोट लोगों से बातचीत करने में भी सहज है। इसी साल 14 सितंबर से यह रोबोट कैंपस में दाखिल लेगा। पहले यह कॉलेज में एडमिन को रिपोर्ट करेगा, बाद में बाकी छात्रों के साथ क्लास अटेंड करेगा।
क्या पढ़ेगा यह रोबोट?
यह रोबोट चार साल के लिए चीन का पारंपरिक चीनी ओपेरा के साथ-साथ अन्य सब्जेक्ट्स भी पढ़ेगा। इसमें स्टेज परफॉर्मेंस, स्क्रिप्ट राइटिंग और सेट डिजाइन जैसे आर्ट्स के विषय भी पढ़ेगा। तकनीकी विषय जैसे- मोशन कंट्रोल और लैंग्वेज जनरेशन भी सीखने वाला है। यह रोबोट बाकी स्टूडेंट्स के साथ ही ओपेरा भी प्रैक्टिस करेगा।
सोशल मीडिया पर क्या बोले यूजर्स?
जब ये खबर सामने आई कि एक रोबोट डॉक्टरेट करेगा, तो लोग हैरान रह गए। सोशल मीडिया पर मिली-जुली राय सामने आई। एक यूजर ने लिखा कि अब रोबोट स्टूडेंट्स को भी रिप्लेस कर रहे हैं। दूसरे ने कहा कि आर्ट के लिए असल लाइफ का एक्सपीरियंस होना जरूरी है। किसी भी रोबोट के एल्गोरिदम से बनी चीजें बाकी लोगों को भावनात्मक रूप से नहीं छू सकती हैं। कुछ लोगों ने इसे तकनीक की तरक्की के रूप में भी देखा है।