चुनावी वैतरणी पार करने के लिए अब हनुमान जी से आस, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की मांग बढ़ी

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हनुमान जी की स्‍तुति में भक्‍त तो भगवान से कहते ही हैं कि, “कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसे नहीं जात है टारो, बेगी हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो, को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो”। जब संकट की घड़ी आती है सबसे पहले हनुमान जी की ही याद आती है।

इसीलिए तो उन्‍हें संकट मोचक कहा जाता है। अब चूंकि चुनावी समय है तो ऐसे में प्रत्‍याशियों को हनुमान जी याद आ रहे हैं। नतीजा, बाजार में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की मांग में बढ़ोतरी हो गई है।

चुनावी भवसागर पार करवाने के लिए अब वे हनुमान जी से ही आस लगा रहे हैं। इस सब के बीच गोरखपुर की गीता प्रेस की मुश्किल बढ़ गई है क्‍योंकि लगातार बढ़ती मांग के चलते वह इनका प्रकाशन नहीं कर पा रहा है। प्रेस प्रबंधन ने प्रकाशन का दायरा बढ़ाया है लेकिन यह भी पर्याप्‍त नहीं लग रहा है।

बीते जनवरी से लेकर अभी तक हनुमान चालीसा की 63.90 लाख एवं सुंदर कांड की 15.20 लाख प्रतियां विक्रय के लिए भेजी गई हैं। हनुमान चालीसा एवं सुंदरकांड की सर्वाधिक मांग हिंदी भाषी प्रदेशों में है।

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