जगह-जगह से टूटी पड़ी है नहर, खेतों तक नहीं पहुंच रहा पानी

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पिछले दिनों हुई भारी बारिश ने जहां जिले भर में भारी तबाही मचाई है, तो वही इस मूसलाधार बारिश से कई किसानों की फैसले क्षतिग्रस्त हुई है। लेकिन जिले में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहा के किसानों को अपनी धान की फसलों को पकाने के लिए नहरों से पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। जहां खरीफ की फसल धान के लिए पाथरी और सराठी जलाशय की नहरो का मरम्मतीकरण कर नहर का पानी दिए जाने की मांग को लेकर स्थानिय किसानों द्वारा ज्ञापन सौपा गया है।किसान जागरण संगठन नेवरगांव (वा) और सराठी जलाशय संघर्ष समिति के बैनर तले सौपे गए इस ज्ञापन में दोनों संगठनों से जुड़े विभिन्न गांवो के किसानों ने पाथरी और सराठी जलाशय से निकली नहरों की मरम्मत कराने और धान की फसलों के लिए नहर का पानी उनके खेतों तक पहुंचाने की मांग की है। जहां अपनी इस प्रमुख मांग को पूरा करने के लिए उन्होंने प्रशासन को 10 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए समय सीमा में मांगे पूरी न होने पर सड़क पर उतरकर आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है ।

100 वर्ष से अधिक की हो गई पाथरी जलाशय की सिंचाई व्यवस्था, जिम्मेदार नही दे रहे ध्यान
पथरी जलाशय से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने की मांग को लेकर पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि ब्रिटिश शासन काल मे सन 1911 से 1920 के बीच निर्मित पाथरी जलाशय ग्राम नेवरगांव वा ग्राम पाथरी व ग्राम मुरझर आदि के 1400 एकड़ रकबा के किसानो की खेती को सिंचित करता है। 100 साल पुरानी नहरों की उम्र समाप्त हो चुकी है एंव इसकी पूरी संरचना मुख्य नहर, माईनर वाटर
कोष कुलापा इस्ट्रेक्चर डी. सी. फुट ब्रिज आदि जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं या टूट चुके है।वर्तमान में 50% सिंचाई क्षमता रह गई है 25% किसान अपने खेतो का एग्रीमेंट कटवा चुके है. एंव 25% किसान अपना एग्रीमेंट कटवाने के कगार पर है। अब शासन प्रशासन सरकारें सांसद मंत्री विधायक सुनिश्चित कर लें की जलाशय की नहरों का सीमेंटीकरण करे या किसानो को उनके हालातों पर छोडकर एग्रीमेंट रद्द करवाने की खुली छूट दे दी जाए । पाथरी जलाशय के पिड़ित किसानो के हितो की रक्षा के लिए नहर प्रणाली में सुधार कार्य के लिए विगत 28 वर्षों से हम किसान साथी संघर्ष करते नजर आ रहें है। लेकिन हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

दोषपूर्ण सिंचाई निति की किसानो को मिल रही सजा
किसानों ने बताया कि नहरो के रख-रखाव पर विभाग शासन प्रशासन निष्क्रिय है किसानो की सूध नही ले रहे है किसान हित मे जल उपभोक्ता संस्था थी उसे भी इस सरकार ने भंग कर दिया गया है ।विभागीय अमला नहीं है कर्मचारी सेवा निवृती के बाद नई भर्ती नही हो रही है अमिन नहीं है दैनिक वेतन भोगियों को कार्य प्रभार सौपा जा रहा है कर्मचारी नही होने के कारण जल कर की वसूली किसानो से नही हो रही अतिरिक्त ब्याज लग रहा है मध्यप्रदेश शासन एंव सरकार की दोषपूर्ण सिंचाई निति से किसानो को सजा मिल रही है

इन मांगों को लेकर सौपा ज्ञापन, आंदोलन की दी चेतावनी
किसानों द्वारा सोफे गए ज्ञापन में पाथरी जलाशय नहर 0 से टेल तक माइनरो की झाड़िया घास सफाई सिल्ड निकालना होलो का बंदीकरण इत्यादी कार्य कराने,पाथरी जलाशय की समस्त संरचनाऐ मुख्य नहर माइनर वाटर कोष कुलापा सारे इस्ट्रेक्चर डी.सी. आदियो का पक्का सीमेंटीकरण कराने,पाथरी जलाशय मे जलापूर्ति करने वाला पाथरी फीडर 11 किलो मिटर लम्बा टूटी नहर से जुड़ा हुआ है उसकी मरम्मत कराने, स्वीकृत राशि के अनुसार मरम्मतीकरण न करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों और ठेकेदारों पर कार्यवाही करने, स्वेच्छा से एग्रीमेंट काटने वाले किसानों के लिए कैंप का आयोजन कर उनका एग्रीमेंट कटवाने सहित मांगों को पूरा किए जाने की गुहार लगाई है।इसी तरह सराठी जलाशय
नहर की भी मरम्मतीकरण कर अन्य व्यवस्थाएं बनाई जाने की मांग की गई है। जहां किसान जागरण संगठन अध्यक्ष द्वारा प्रशासन को मांग पूरी करने के लिए 10 दिनों की मोहलत देते हुए समय सीमा में मांग पूरी न होने पर समस्त किसानों के साथ सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी हैं।

विभाग मरम्मतीकरण पर नहीं दे रहा ध्यान- मुन्ना ठाकरे
ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान जिला पंचायत सभापति मुन्ना ठाकरे ने बताया कि जिले में जितने भी तालाब है उसमें से 90% तालाब 100 वर्ष पूरे कर चुके हैं जो स्थिति काफी दैनीय हो चुकी है उनसे सिंचाई नहीं हो पा रही है।पाथरी जलाशय से पहले 1400 हेक्टेयर भूमि सिचिंत होती थी जबकि आज 500 हेक्टेयर भूमि भी सिंचित नहीं हो पा रही है। इसीलिए किसान वहां से पानी लेने की अनुमति निरस्त कर रहे हैं। हमारी मांग है कि माइनर नेहरो का सीमेंटकारण कर सभी किसानों के खेत तक पानी पहुचाने की व्यवस्था बनाई जाए।इसी तरह सराठी जलाशय मरम्मतीकरण के लिए शासन द्वारा 27 करोड रुपए स्वीकृत किए गए थे।लेकिन ठेकेदार द्वारा नॉन टेक्निकल काम किया जा रहा है जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है जबकि पूर्व में अधिकारी कर्मचारी, स्वयं विभागीय लेबर के माध्यम से मरमतीकरण का कार्य करते थे लेकिन अब विभागीय मजदूर भी बंद हो चुके हैं जो शासकीय मजदूर थे, वह रिटायर हो चुके हैं। उनकी भर्ती भी नहीं हो रही है। पूर्व में जल उपभोक्ताएं संस्थाएं थी उनसे भी काफी हद तक राहत मिलती थी उसे भी भंग कर दिया गया है। यदि बरसात नहीं होती तो क्षेत्र में सूखे की स्थिति पड़ जाती। कुछ किसानों ने अपने खेतों में मोटर पंप की व्यवस्था कर ली है तो कुछ किसान बरसाती नहरो में मोटर लगाकर अपने फसलों को पका रहे हैं पिछली बार पाथरी जलाशय को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया था उस समय राशि स्वीकृत होने का आश्वासन मिला था लेकिन उसकी कोई राशि स्वीकृत नहीं हुई है जिस पर अपना आक्रोश जताते हुए आज किसानों द्वारा ज्ञापन सौपा गया है यदि समय सीमा में मांग पूरी नहीं की जाती तो फिर किसानों द्वारा ठोस निर्णय लिया जाएगा।

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