पति की मौत के बाद मेहनत मजदूरी कर अपनी दो दिव्यांग जुड़वा बेटियों का लालन पोषण व पढ़ाई करवा रही उनकी विधवा मां ने मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में एक एक ज्ञापन सौपा है।आयोजित जनसुनवाई में सौपे गए इस ज्ञापन में उन्होंने उनकी दोनों दिव्यांग बेटियों को ट्राईसाईकिल दिए जाने की मांग की है।उक्त मांग को लेकर ज्ञापन सौपने कलेक्ट्रेट पहुची ग्राम बेहरई निवासी पीड़िता महिला मीणा बघेल ने बताया कि उनकी दोनों बेटी कक्षा 9वी में पढ़ाई कर रही हैं। जिन्हें स्कूल से लाने ले जाने में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी दोनों बेटियों का दिव्यांग प्रमाण पत्र बना है लेकिन वहां प्रमाण पत्र 50% दिव्यंगता का है।जबकि ट्राईसिकल के लिए उन्हें 80% दिव्यंगता के प्रमाण पत्र की आवश्यकता है। यदि प्रशासन द्वारा 80% दिव्यंगता का का प्रमाण पत्र उनकी बेटियों को दे दिया जाता तो उन्हें आसानी से ट्राइसिकल मिल जाती और उनकी दोनों दिव्यांग बेटियो की आगे की पढ़ाई आसानी से पूरी जाती।लेकिन 80% दिव्यंगता का प्रमाण पत्र उन्हें नहीं दिया जा रहा है जिसके चलते वे आज कलेक्टर कार्यालय में गुहार लगाने आई है।
कोख में थी जुड़वा बेटियां, तभी हो चुकी पति की मौत
पीडि़ता महिला मोना बघेले ने बताया कि 2011 में जब दोनो बेटियां उसके गर्भ में थी। इसी दौरान उसके पति डिलेश की मौत हो गई थी। जिसके बाद दोनों बेटियों के जन्म के बाद से ही उनका वह किसी तरह मेहनत-मजदूरी कर लालन-पालन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनकी दोनों बेटियां दिव्यांग है और वर्तमान समय में ग्राम कनकी के स्कूल में कक्षा नवमीं की पढ़ाई कर रही है और व उच्च शिक्षा प्राप्त कर कुछ करना चाहती है। वह किसी तरह काम-धाम के बीच समय निकालकर बस से बेटियों को स्कूल छोडने व ले जाने कार्य करती है। उसने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और किसी तरह वह बेटियों का पालन पोषण कर पा रही हैं।
50 प्रतिशत का बना है दिव्यांग प्रमाण पत्र,
दिव्यांग बेटियों की मां ने बताया कि उसकी दोनों बेटियों के दिव्यांग प्रमाण पत्र तो बने है, लेकिन वह 50 प्रतिशत दिव्यांगता है प्रमाण पत्र बने है। जिसके चलते उन्हें स्वचलित ट्राइसिकल मिल नहीं पा रही है। ऐसी स्थिति में उन्हें स्कूल आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और कई बार उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने बताया कि जिसके चलते वह चाहती है कि उसकी बेटियों का 80 प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाण पत्र बन जाए तो उन्हें स्वचलित ट्राइसिकल मिल जाएगी और उन्हें पढ़ाई करने में सुगमता होगी जिससे वह आगे की पढ़ाई भी अच्छी तरह से कर पाएगी। उन्होंने बताया कि इसी उम्मीद के साथ आज उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा हैं।