जबलपुर यूं ही मशहूर नहीं है। यह नर्मदा नदी और संगमरमरी वादियों के लिए देश-विदेश में विख्यात है तो इसे मदनमहल की पहाड़ी और 52 ताल-तलैयों के लिए भी जाना जाता है। इन बातों की जानकारी तो हमें इतिहास के पन्नों में झांकते ही पढ़ने मिल जाती है, लेकिन शायद ही आप लोगों को यह पता हो कि जबलपुर दुनिया के सबसे महंगे आम पैदा करने के लिए भी जाना जाता है। जापान में मिलने वाले सबसे महंगे आम जबलपुर में भी पैदा हो रहे हैं।
नर्मदा किनारे बसे शहर से लगे ग्राम डगडगा हिनौता के एक बगीचे में इन दिनों जापानी के सबसे महंगे आम श्ताईयो नो तमागोश और मियाजाकी जैसे आम शहर की इस बगिया में भी हो रहे हैं। पिछले साल भी इन आमों की मांग सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि मुंबई तक रही। वहां के कई आम कारोबारी इस आम के लिए 21 हजार रुपए प्रति नग तक की बोली लगाई थी। यहां पर हो रहे एक आम का वज़न करीब 900 ग्राम तक होता है। हालांकि बगीचे के मालिक संकल्प सिंह परिहार ने इस सीजन में भी आम बेचने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि इस बार आम की फसल उम्मीद के मुताबिक नहीं है। महंगा दाम मिलने के बाद भी इस बार वह यह आम नहीं बेचेंगे।
डायनासोर के अंडे की तरह दिखता है यह आम
आम के जानकार बताते हैं कि दुनिया के सबसे महंगे आम का नाम मियाजाकी है। इस आम की खेती जापान के शहर मियाजाकी में की जाती है। इस वजह से इसका नाम भी यही रखा गया है। यहां पर स्थानीय भाषा में मियाजाकी को ‘टाइयो नो तमागो कहा जाता है। इस आम का रंग हरा और पीला नहीं होता है, बल्कि इसका रंग लाल होता है और ये डायनासोर के अंडे की तरह होता है। बताते हैं कि मियाजाकी आम का वजन 350 से 900 ग्राम तक होता है। एक मियाजाकी आम में 15 फीसदी से अधिक चीनी होती है। यही वजह है कि इस आम की मिठास, दूसरे आमों की तुलना में अच्छी रहती है। इसी मांग की वजह से यह अधिक कीमत पर बिकता है।
मियाजाकी आम से जुड़ी जानकारी
मियाजाकी आम को तैयार करने के लिए लंबे समय तक सूर्य की रोशनी की जरूरत पड़ती है। गर्म मौसम और अत्यधिक बारिश की आवश्यकता होती है। मियाजाकी आम की सुरक्षा के लिए चारों तरफ नेट लगाया जाता है। मियाजाकी शहर में इस आम की खेती साल 1984 से की जा रही है। मियाजाकी आम का सीजन अप्रैल से लेकर अगस्त तक है। बाजार में मई से लेकर जून में उपलब्ध रहता है।मियाजाकी आम को प्रीमियम फल कहा जाता है। जापान में यह सबसे महंगा आम है। 2 आम (एक बॉक्स) की कीमत 8600 से लेकर 2.7 लाख रुपये तक हैं। जापान के अलावा भारत, थाईलैंड और फिलीपींस में भी यह आम पाया जाता है। भारत में यह आम मध्य प्रदेश के जबलपुर में मिलता है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
आम की खेती करने वाले संकल्प ने बताते हैं कि उनका लक्ष्य अपने बगीचे में तईयो नो तमागो किस्म के 500 पेड़ तैयार करने का है। इसके बाद ही बाकी किस्म के आम की तरह वे इस किस्म के आम बाजार में बेचेंगे। उनके बगीचे में 6 विदेशी किस्मों के आम लगे हैं। फिलहाल वे 12 एकड़ में आम की खेती कर रहे हैं। हालांकि इनकी भी सुरक्षा करनी पड़ती है। इसके लिए उन्होंने बगीचे में चोरों ओर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। लाठी लेकर कई सुरक्षा गार्ड लगाए गए हैंं, जो आमों की रखवाली करते हैं। वहीं आम के दो पेड़ों की रखवाली करने के लिए चार गार्ड और 6.6 कुत्तों के इंतजाम किए हैं।