जबलपुर में बजट का मिलाजुला असर, सत्ता वाले खुश, विपक्ष नाराज

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 केंद्र के बजट को लेकर शहर के जनप्रतिनिधियों ने भी प्रतिक्रिया दी। अर्थशास्त्री जहां इसे दूरगामी सोच का बजट बता रहे हैं। वहीं सत्ता पक्ष से जुड़े नेता बजट पर खुश हैं। वहीं विपक्षी दल के विधायक इसे आम जनता के लिए झुनझुना बता रहा है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक प्रशांत पोल ने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में दूरगामी सोच को पेश किया है। अगले 25 साल की रूपरेखा तय की गई है। हर गांव को आप्टिकल फाइबर से इंटरनेट का जाल पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इससे ई-गवर्नेंस के जरिए भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। डिजिटल करंसी के जरिए क्रिप्टो करंसी पर अंकुश लगाने की कोशिश की गई है। उद्योगों को बढ़ावा देने तथा विकासोन्मुख बजट पेश किया गया है।

वहीं रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डा.शैलेष चौबे ने कहा कि वित्त मंत्री ने आगामी 25 साल की कार्ययोजना बजट के जरिए पेश की है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा एवं बुनियादी सुविधा में इजाफा किया गया है। इसमें डिजिटल विश्वविद्यालय की प्रस्तावना शिक्षा के लिए विकास एवं आधुनिक शिक्षा की अधारशिला होगी। एनपीएस में सरकारी योगदान 10फीसद से बढ़ाकर 14 फीसद किया गया है। इसके अलावा क्रिप्टो करंसी के लाभ पर 30 फीसद कर लगाकर इसका चलन कम करने का प्रयास किया है। बजट में आम आदमी को महंगाई से फौरी राहत नहीं मिल पा रही है। बजट को लेकर कांग्रेस के विधायक संजय यादव ने कहा कि कोरोना संक्रमण के बाद आर्थिक मंदी से जूझ रहा आम आदमी को बजट से भी कोई लाभ नहीं मिलता दिखाई दे रहा है। भाजपा की सरकार में सिर्फ पूंजीपतियों को ही लाभ मिलता है। व्यापारियों की सरकार ने उनके लिए टैक्स में छूट दी है लेकिन आम आदमी के लिए किसी तरह की रियायत नहीं दी गई है। इसमें महाकोशल अंचल के लिए कोई सौगात नहीं है।

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