जबलपुर हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव मामले में अंतरिम राहत से किया इनकार

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में होने जा रहे पंचायत चुनाव पर हस्तक्षेप से इनकार करते हुए अंतरिम राहत की मांग ठुकरा दी। साथ ही राज्य शासन व निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। अगली सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद नियत की गई है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान दमोह निवासी डा. जया ठाकुर व छिंदवाड़ा निवासी जाफर सैय्यद की ओर से अधिवक्ता वरुण ठाकुर व मुकेश सोलखे ने पक्ष रखा। उन्होंने अंतरिम राहत बतौर पंचायत चुनाव की अधिसूचना और सरकार के अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने पर बल दिया।

हस्तक्षेप का अधिकार नहीं रहता : हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 (ओ) में निहित प्रविधान के तहत चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने के बाद अदालत को उसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं रहता। खंडपीठ ने कहा की इसके पहले सात दिसंबर 2021 को समान मामले में ग्वालियर खंडपीठ ने भी अंतरिम राहत का आवेदन निरस्त कर दिया था, इसलिए ऐसी स्थिति में राहत नहीं दी जा सकती। हालांकि याचिकाकर्ताओं ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। कोर्ट ने इस मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त सह संचालक एवं राज्य चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।

अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी : 21 नवंबर 2021 को राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर आगामी पंचायत चुनाव में 2014 के आरक्षण रोस्टर और परिसीमन के आधार पर चुनाव कराए जाने की घोषणा की है। इसके बाद राज्य सूचना आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए 4 दिसंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर दी। प्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले चरण में 6 जनवरी को मतदान होगा। राजेश वैश्य, राजेश पटेरिया समेत एक दर्जन से अधिक याचिकाओं में उक्त अध्यादेश और अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। पूर्व में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्‍ता विवेक तन्खा, शशांक शेखर व महेन्द्र पटैरिया ने पैरवी की थी। वहीं अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने निर्वाचन आयोग का पक्ष रखा था। सेठ ने बताया कि प्रदेश में पंचायत चुनाव की तैयारियां पूरी हो गई हैं। अधिसूचना जारी हो चुकी है और संविधान अनुच्छेद 243 (ओ) के तहत अब कोर्ट में इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अंतरिम आवेदन निरस्त करते हुए अनावेदकों से जवाब तलब किया है।

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